पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सख्त रुख अपनाते हुए भोपाल के कोलार रोड स्थित सिंगापुर सिटी कॉलोनी के बिल्डर पर 5 लाख 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई कॉलोनी में पिछले 107 दिनों से खुले में बह रहे सीवेज और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) को दुरुस्त न किए जाने के मामले में की गई है। ट्रिब्यूनल ने बिल्डर को दो सप्ताह के भीतर STP को पूरी तरह कार्यशील बनाने के आदेश भी दिए हैं।
यह मामला तब सामने आया जब सिंगापुर सिटी कॉलोनी के निवासी और पेशे से डॉक्टर अभिषेक परसाई ने NGT में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि कॉलोनी में सीवेज का पानी खुले में बह रहा है, जिससे बदबू, मच्छरों और संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। स्थानीय स्तर पर शिकायतों के बावजूद बिल्डर द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिसके बाद ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया गया।
NGT ने सुनवाई के दौरान पाया कि कॉलोनी में स्थापित STP लंबे समय से खराब था और बिल्डर ने उसकी मरम्मत या संचालन सुनिश्चित नहीं किया। इसके चलते सीवेज सीधे खुले नालों में बह रहा था, जो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और जल प्रदूषण से जुड़े नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। ट्रिब्यूनल ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए आर्थिक दंड लगाया।
अपने आदेश में NGT ने कहा कि बिल्डर की जिम्मेदारी है कि आवासीय परियोजनाओं में अपशिष्ट जल का वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जाए। ट्रिब्यूनल ने चेतावनी दी कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर सुधार नहीं किया गया, तो भविष्य में और कड़ी कार्रवाई तथा अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।
शिकायतकर्ता डॉक्टर अभिषेक परसाई ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कॉलोनी के लोग लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहे थे। खुले सीवेज के कारण बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा था। उन्हें उम्मीद है कि NGT के आदेश के बाद अब हालात सुधरेंगे और कॉलोनीवासियों को राहत मिलेगी।
यह मामला भोपाल समेत मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में चल रही आवासीय परियोजनाओं के लिए भी एक चेतावनी माना जा रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण के बीच STP और कचरा प्रबंधन की अनदेखी गंभीर पर्यावरणीय संकट को जन्म दे सकती है। NGT की यह कार्रवाई न केवल बिल्डरों की जवाबदेही तय करती है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
फिलहाल प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए गए हैं कि वे सुधार कार्यों की निगरानी करें और अनुपालन रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में पेश करें।
