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तीन दिन में छह मौतें, कुबेरेश्वर धाम में बढ़ा विवाद: पंडित प्रदीप मिश्रा के आयोजन पर उठे सवाल, सरकार ने की न्यायिक जांच की घोषणा
Sehore, MP

मध्य प्रदेश के सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में धार्मिक आयोजन के दौरान बीते तीन दिनों में छह श्रद्धालुओं की मौत ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ और अव्यवस्था के बीच कई हादसों ने आयोजन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
धार्मिक प्रवचनकर्ता पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ढाई लाख से ज्यादा लोगों की मौजूदगी का दावा किया गया था। मंगलवार से लेकर गुरुवार तक हुई मौतों के बाद अब राजनीतिक हलकों से लेकर आम जनमानस तक चिंता जताई जा रही है।
क्या हुआ कुबेरेश्वर धाम में?
मंगलवार को रुद्राक्ष वितरण के दौरान मची भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हो गई। बुधवार को कांवड़ यात्रा के दौरान और उसके बाद तीन श्रद्धालुओं की और गुरुवार को एक युवक की मौत हो गई।
घटनाओं के बाद पूर्व मंत्री कुसुम महदेले ने आयोजन पर खुलकर सवाल उठाए और पंडित प्रदीप मिश्रा से रुद्राक्ष वितरण बंद करने की अपील की। साथ ही सरकार से इस पूरे मामले में कार्रवाई की मांग की।
सरकार और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार न्यायिक जांच कराएगी और किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
बीजेपी विधायक कंचन तन्वे और कांग्रेस विधायक राजेन्द्र सिंह ने भी आयोजन की आलोचना करते हुए कहा कि धर्म को आडंबर नहीं बनाना चाहिए और ऐसे आयोजनों में जन-जीवन की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
मृतकों की सूची:
मंगलवार (भगदड़ में):
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जसवंती बेन (56), राजकोट, गुजरात
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संगीता गुप्ता (48), फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश
बुधवार (स्वास्थ्य बिगड़ने से):
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चतुर सिंह (50), गुजरात
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ईश्वर सिंह (65), हरियाणा
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दिलीप सिंह (57), छत्तीसगढ़
गुरुवार:
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उपेंद्र गुप्ता (22), गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
घायल श्रद्धालु:
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सुनीता, हरियाणा – हाईवे पर गिरकर घायल
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पूजा सैनी, मथुरा – कुबेरेश्वर धाम में गिरने से चोट
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मनीषा, नागपुर – अचानक बेहोश, अस्पताल में भर्ती
आयोजन का भव्य रूप और भारी भीड़
बुधवार को पंडित मिश्रा द्वारा 11 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा निकाली गई, जिसमें हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। आयोजन की भव्यता से श्रद्धालु अभिभूत तो हुए, लेकिन अव्यवस्था और ट्रैफिक जाम ने उनकी परीक्षा भी ली।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
कई श्रद्धालुओं ने कहा कि भीड़ तो बहुत थी, लेकिन धार्मिक आनंद का अनुभव भी उतना ही गहरा रहा। “धाम पहुंचना कठिन था, लेकिन दर्शन के बाद सब भूल गए,” एक श्रद्धालु ने कहा।
आयोजन पर संतुलित दृष्टिकोण ज़रूरी
जहां एक ओर धार्मिक आस्था और श्रद्धा आयोजन की आत्मा हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा, सुविधा और आपात सेवाओं की व्यवस्था उतनी ही महत्वपूर्ण है। इस घटनाक्रम ने यह संदेश दिया है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए व्यापक सुरक्षा और नियंत्रण की रूपरेखा अनिवार्य होनी चाहिए।