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फूलों की बारिश के बीच खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, चारधाम यात्रा का हुआ शुभारंभ
Dharm Desk

चारधामों में प्रमुख भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए विधिवत पूजा-अर्चना के साथ खोल दिए गए।
इस पावन अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया और कपाट खुलते ही आसमान से फूलों की वर्षा कर भगवान बद्रीविशाल का भव्य स्वागत किया गया। कपाट खुलने के साथ ही मंदिर परिसर भक्तों के जयकारों और श्रद्धा से गूंज उठा।
भगवान बद्रीनाथ का हुआ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक
कपाट खुलने के शुभ मुहूर्त पर पुजारियों और वेदपाठियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान बद्रीनाथ का अभिषेक और विशेष श्रृंगार किया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करवाए गए। इस दौरान देशभर से आए भक्तों ने मंदिर में दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
मई से नवंबर तक खुलता है बद्रीनाथ धाम
अलकनंदा नदी के किनारे स्थित यह पवित्र धाम केवल मई से नवंबर माह तक ही भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहता है। शीतकाल में जब बर्फबारी के कारण मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में की जाती है। खास बात यह है कि कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर में जलाया गया दीपक लगातार छह माह तक जलता रहता है, जिसे शुभ और चमत्कारिक प्रतीक माना जाता है।
“जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी” – मान्यता का है विशेष महत्व
बद्रीनाथ धाम को धरती का बैकुंठ कहा जाता है। यहां विराजमान भगवान विष्णु की शालीग्राम शिला से बनी चतुर्भुज प्रतिमा को नर-नारायण अवतार स्वरूप पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त श्रद्धा से बद्रीनाथ के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। प्रसिद्ध कहावत "जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी" इसी आस्था को दर्शाती है।
चारधाम यात्रा का पूर्ण शुभारंभ
इस वर्ष अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए थे। उसके बाद 2 मई को बाबा केदारनाथ के द्वार भक्तों के लिए खुले और अब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा 2025 का पूर्ण रूप से शुभारंभ हो गया है। उत्तराखंड की पर्वतीय वादियों में भक्ति और आस्था की यह यात्रा एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए स्वर्गिक अनुभव लेकर आई है।