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राफेल की गड़गड़ाहट से और मजबूत होगी भारत की रक्षा शक्ति, फ्रांस से नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन जेट खरीदने की डील को मंजूरी
JAGRAN DESK

भारत की समुद्री और हवाई सीमाएं अब और अधिक सुरक्षित होने जा रही हैं। फ्रांस से 63,000 करोड़ रुपये की लागत से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदने की तैयारी अंतिम चरण में है। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) इस डील को पहले ही हरी झंडी दे चुकी है।
डील के तहत 22 सिंगल-सीट कैरियर-आधारित लड़ाकू विमान और 4 ट्विन-सीट ट्रेनर जेट शामिल होंगे, जो भारतीय नौसेना के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत से ऑपरेट किए जाएंगे।
वायुसेना के लिए भी राफेल की दूसरी खेप पर विचार
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना (IAF) भी फ्रांस से 40 से 60 राफेल फाइटर जेट खरीदने की योजना पर काम कर रही है। यह सौदा सरकार से सरकार (G2G) स्तर पर किया जाएगा और इसे भारतीय नौसेना की डील से अलग रखा गया है। इस प्रस्ताव को “फास्ट-ट्रैक्ड MRFA-प्लस” योजना के तहत अंजाम दिया जाएगा। बता दें कि IAF को वर्तमान में 42.5 स्क्वाड्रनों की जरूरत है, लेकिन फिलहाल उसके पास महज 31 स्क्वाड्रन हैं।
MRFA प्रोजेक्ट में दिखी नई हलचल
IAF लंबे समय से 114 विदेशी फाइटर जेट्स की खरीद के लिए MRFA (Multi-Role Fighter Aircraft) प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की योजना बना रही है, लेकिन अब तक कोई औपचारिक Request for Proposal (RFP) जारी नहीं हुआ है। हालांकि, राफेल का विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड और भारतीय स्क्वाड्रनों में इसकी पहले से मौजूदगी के चलते यह विमान सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।
INS विक्रांत पर तैनात होंगे राफेल-एम, MIG-29K को देंगे विदाई
नौसेना की यह राफेल डील न सिर्फ फ्रांस के साथ सामरिक रिश्तों को मजबूत बनाएगी, बल्कि भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता को भी नए स्तर पर ले जाएगी। इन विमानों की डिलीवरी वर्ष 2028-29 से शुरू होगी और 2031 तक यह पूरी तरह से सेवा में आ जाएंगे। पुराने हो चुके MiG-29K जेट्स की जगह अब ये अत्याधुनिक राफेल-एम जेट लेंगे, जो भारतीय जल सीमाओं की निगरानी में अहम भूमिका निभाएंगे।
इस सौदे में ‘अस्त्र’ मिसाइलें, स्वदेशी MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) सुविधाएं और क्रू ट्रेनिंग शामिल हैं। इससे भारतीय वायुसेना के राफेल नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी। IAF के 36 राफेल में से 10 जेट्स को भी अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि वे लॉन्ग रेंज सेंसर्स और बडी-बडी रिफ्यूलिंग जैसी क्षमताओं से लैस हो सकें।
राफेल: एक सिद्ध और रणनीतिक विकल्प
सीरिया, लीबिया और माली जैसे युद्ध क्षेत्रों में सफलतापूर्वक इस्तेमाल हो चुका राफेल जेट अब भारत के सामरिक फलक पर अहम स्थान ले चुका है। यह न केवल उन्नत AESA रडार, मेटेओर मिसाइल और SCALP हथियारों से लैस है, बल्कि इसकी विश्वसनीयता और ऑपरेशनल परफॉर्मेंस ने इसे IAF और नौसेना दोनों के लिए एक कॉमन प्लेटफॉर्म बना दिया है।
IAF और नौसेना दोनों के राफेल वेरिएंट में लगभग 95% समानता होने के कारण लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग और मेंटेनेंस के क्षेत्र में भी भारी सुविधा होगी, जो संयुक्त ऑपरेशनों के लिए एक बड़ा लाभ है।
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा नया बल
G2G मॉडल के जरिए हो रही इस रणनीतिक डील को भारत की “Make-in-India-for-the-World” नीति के अनुरूप भी बताया जा रहा है। राफेल के लिए भारत में असेंबली, MRO इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑफसेट निवेश पर भी बातचीत जारी है।