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RBI ने बढ़ाई फ्री सुविधाएँ, बैंकों को नए नियम लागू करने के लिए 7 दिन की समयसीमा
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BSBD अकाउंट अब ‘कमतर विकल्प’ नहीं माना जाएगा; ATM कार्ड, मोबाइल बैंकिंग, चेकबुक और डिजिटल भुगतान की सुविधाएँ बिना किसी शुल्क उपलब्ध होंगी
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देशभर के जीरो बैलेंस खाताधारकों के लिए महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए बैंकों को कहा है कि वे बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट (BSBD) खातों पर सभी आवश्यक बैंकिंग सुविधाएँ बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उपलब्ध कराएं। केंद्रीय बैंक ने साफ किया कि ये खाते अब किसी भी प्रकार से सीमित सुविधाओं वाले विकल्प के तौर पर नहीं देखे जाएंगे।
निर्देशों के अनुसार, कोई भी ग्राहक लिखित या ऑनलाइन अनुरोध भेजकर अपने मौजूदा बचत खाते को BSBD खाते में बदलवा सकता है और बैंक को यह प्रक्रिया अधिकतम सात दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। RBI ने बताया कि नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2026 से लागू होगी और इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को और मजबूत करना है।
क्या-क्या सुविधाएँ होंगी बिल्कुल मुफ्त?
नई गाइडलाइन के मुताबिक BSBD खातों में अब कई ऐसी सेवाएँ शामिल होंगी, जिनके लिए ग्राहकों को पहले अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता था। अब इन खातों में:
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बिना किसी वार्षिक शुल्क के ATM-cum-Debit कार्ड
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25 पन्नों वाली मुफ्त चेकबुक
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असीमित कैश जमा सुविधा
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फ्री मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग
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पासबुक या मासिक स्टेटमेंट
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डिजिटल ट्रांजेक्शन जैसे UPI, NEFT, RTGS, IMPS और PoS भुगतान — सभी फ्री
इसके साथ ही महीने में चार बार कैश निकासी की भी मुफ्त सुविधा दी जाएगी।
निर्णय की जरूरत क्यों पड़ी?
कई बैंकों द्वारा BSBD खातों पर सुविधाओं की सीमा तय करने, अतिरिक्त शुल्क लगाने या डिजिटल सेवाओं को सीमित करने की शिकायतें RBI तक पहुंच रही थीं। ग्राहक संगठनों ने इन प्रतिबंधों को नियमों के खिलाफ बताया था।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि BSBD खाता बैंकिंग सेवाओं का वह आधार है, जो आर्थिक रूप से कमजोर और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ता है। ऐसी स्थिति में सुविधाओं पर अतिरिक्त शर्तें लगाना इन खातों के मूल उद्देश्य को कमजोर करता है।
RBI ने क्यों ठुकराए बैंकों के सुझाव?
कुछ बैंकों ने प्रस्ताव दिया था कि BSBD खाता केवल आय-प्रोफाइल के आधार पर खोला जाए और डिजिटल बैंकिंग सुविधाएँ सीमित हों, ताकि खातों का दुरुपयोग रोका जा सके। RBI ने इन सुझावों को खारिज करते हुए कहा कि सुविधा सीमित करने से लाभार्थियों पर अनावश्यक बोझ बढ़ेगा।
हालांकि, नाबालिग खातों में बैलेंस और जमा राशि के जोखिम को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने न्यूनतम दिशा–निर्देशों की अनुमति दी है।
बैंकों को क्या करना होगा?
RBI ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपनी प्रणाली, शुल्क-सूची और ग्राहक-सेवा ढांचे में बदलाव करते हुए 7 दिनों के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करें और इसकी रिपोर्ट केंद्रीय बैंक को भेजें।
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