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“AI171 विमान त्रासदी के बाद टाटा समूह की प्रतिक्रिया बनी कॉर्पोरेट जवाबदेही का प्रतीक”
JAGRAN DESK

दुनिया की विमानन इतिहास में एक और काली तारीख जुड़ गई — जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 की दुर्घटना में कम से कम 270 लोगों की जान चली गई, और यह बीते दशक की सबसे भयावह विमानन त्रासदी बन गई। यह हादसा जितना भीषण था, उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी उस पर आई टाटा समूह की प्रतिक्रिया, जिसने भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में नैतिक नेतृत्व, सहानुभूति और जवाबदेही की एक नई परिभाषा रच दी।
एयर इंडिया, जिसे हाल ही में टाटा समूह ने फिर से अपने अधीन लिया था, पहले से ही बदलाव के कठिन दौर से गुजर रही थी। लेकिन यह त्रासदी इस प्रक्रिया की सबसे कठिन परीक्षा बन गई। ऐसी घड़ी में, जब संकट को टालना असंभव था, टाटा समूह ने यह सुनिश्चित किया कि नैतिकता, पारदर्शिता और संवेदनशीलता से समझौता न हो।
अध्यक्ष का भावुक बयान: “यह मेरे करियर का सबसे बुरा दिन है”
दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने जो बयान दिया, वह केवल औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक गहरी व्यक्तिगत पीड़ा का प्रकटीकरण था। उन्होंने कहा:
“हम एयर इंडिया की उड़ान 171 से जुड़ी इस दुखद घटना से अत्यंत व्यथित हैं। इस समय जो दुख हम महसूस कर रहे हैं, उसे व्यक्त करने के लिए शब्द अपर्याप्त हैं।”
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकार किया कि यह दिन उनके व्यावसायिक जीवन का सबसे बुरा दिन था। यह वक्तव्य बताता है कि यह त्रासदी केवल कॉर्पोरेट आंकड़ों या रिटर्न की बात नहीं थी, बल्कि मनुष्य जीवन और मानवीय मूल्यों का विषय थी।
सीईओ की तत्परता: पेरिस से वापसी की उड़ान
एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन, जो पेरिस एयर शो के लिए रवाना हो चुके थे, हादसे की सूचना मिलते ही उड़ान से लौट आए। एक विमानन पेशेवर के रूप में उनकी यह तात्कालिकता केवल एक ऑपरेशनल निर्णय नहीं था, बल्कि नेतृत्व में ज़िम्मेदारी की असली भावना को दर्शाती थी।
विल्सन ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि कंपनी हर संभव सहायता, सम्पर्क, मुआवज़ा और सहानुभूति के साथ पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ खड़ी है।
मृतकों के सम्मान में नेतृत्व की उपस्थिति
जो बात इस पूरे मामले को और भी उल्लेखनीय बनाती है, वह है समूह के शीर्ष नेतृत्व की व्यक्तिगत भागीदारी — न सिर्फ मुआवज़े की शीघ्र घोषणा, बल्कि दुर्घटनास्थल पर उपस्थिति, पीड़ित परिवारों से संवाद, और यहां तक कि विमान कप्तान सुमीत सभरवाल के अंतिम संस्कार में शामिल होकर अपनी भावनाएं स्पष्ट करना।
यह कार्य-शैली 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की याद दिलाती है, जब ताजमहल होटल को निशाना बनाए जाने के बावजूद टाटा समूह ने न केवल क्षति की भरपाई की, बल्कि कर्मचारियों और पीड़ितों के परिवारों के पुनर्वास में पूरी निष्ठा दिखाई थी।
उद्योग जगत की सराहना: ‘यह चरित्र की परीक्षा है’
इस संवेदनशील प्रतिक्रिया को लेकर व्यवसायिक जगत से भी खूब प्रशंसा मिली। आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने लिखा:
“यह निष्पादन की नहीं, बल्कि चरित्र की परीक्षा है। ऐसे वक्त में नेतृत्व केवल रणनीति नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा, स्पष्टता और साहस का नाम होता है। टाटा समूह ने इस संकट का सामना उसी भावना से किया है।”
मीडिया व टिप्पणीकारों ने की ईमानदारी की सराहना
हिंदुस्तान टाइम्स में लिखते हुए वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी ने कहा:
“अगर इस त्रासदी से हमने कुछ सीखा है तो यह कि टाटा शायद एयर इंडिया को चलाने के सबसे योग्य और संवेदनशील हाथों में हैं। अध्यक्ष की प्रतिक्रिया में वही शालीनता और ईमानदारी थी, जिसके लिए टाटा जाने जाते हैं।”
पूर्व प्रतिस्पर्धियों की भी सहानुभूति
यह सराहना केवल अपने लोगों तक सीमित नहीं रही। जेट एयरवेज के पूर्व सीईओ संजीव कपूर ने सोशल मीडिया पर कहा:
“एयर इंडिया का सुरक्षा रिकॉर्ड दशकों से अनुकरणीय रहा है। एक हादसे में पूरे परिप्रेक्ष्य को खोना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
कठोर प्रश्न आवश्यक हैं, लेकिन सच्चाई भी उतनी ही अहम
बेशक, सवाल पूछे जाएंगे। जाँच की जाएगी और जो भी पक्ष जवाबदेह हो, उसे सामने लाया जाएगा। लेकिन इन सबके बीच जो बात अप्रत्यक्ष रूप से स्थापित होती है, वह यह कि टाटा समूह की जवाबदेही, पारदर्शिता और सहानुभूति की परंपरा इस त्रासदी की कठिन परीक्षा में भी बेदाग बनी रही है।