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25 साल तक जंगल में हथियार थामे रखा, अब थामी शांति की राह: नक्सली दंपति ने किया आत्मसमर्पण
Rajnandgaon, CG
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छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में नक्सल संगठन के दो अहम सदस्य – जीवन उर्फ राम तुलावी और उनकी पत्नी अगासा उर्फ आरती कोर्राम ने आखिरकार मुख्यधारा में लौटने का फैसला कर लिया। दोनों पिछले ढाई दशक से माओवादी संगठन में सक्रिय थे और अब शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
जीवन तुलावी, मूलतः परवीडीह गांव का रहने वाला है। उसने वर्ष 2000 में पारिवारिक विवादों से परेशान होकर नक्सली संगठन की राह पकड़ ली थी। धीरे-धीरे वह एलओस सदस्य से लेकर डिवीजनल कमेटी मेम्बर (DVCM) तक पहुंच गया। उसे नक्सलियों के बीच शिक्षक की भूमिका दी गई थी और वह MOPOS (मोबाइल पोलिटिकल स्कूल) के तहत गांव-गांव घूमकर कैडरों को प्रशिक्षित करता रहा।
आरती कोर्राम, जिसे नक्सली नाम अगासा मिला, लोक कला मंच से जुड़ी हुई थी और नाट्य मंडली के माध्यम से संगठन से जुड़ी। साल 2007 में जीवन से विवाह के बाद उसने चेतना नाट्य मंडली में काम किया और बाद में प्रेस टीम का हिस्सा बनी। दोनों ने माना कि संगठन में ऊंच-नीच और भेदभाव की संस्कृति हावी हो गई है, जिससे तंग आकर उन्होंने आत्मसमर्पण का रास्ता चुना।
राज्य सरकार की नक्सली आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति-2025 के तहत दोनों को ₹50,000 की राहत राशि दी गई है। साथ ही घोषित इनाम – राम तुलावी पर ₹8 लाख और आरती कोर्राम पर ₹5 लाख – शीघ्र प्रदान किया जाएगा।
यह आत्मसमर्पण ‘ऑपरेशन प्रयास’ के तहत हुआ, जो IG अभिषेक शांडिल्य और SP यशपाल सिंह के निर्देशन में चल रहा है। इस कार्रवाई में ITBP और DRG की संयुक्त भूमिका रही।