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भारत बंद: ट्रेड यूनियनों का दावा—25 करोड़ कर्मचारी हड़ताल पर, बैंक, डाक और ट्रांसपोर्ट पर असर
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देशभर में आज 9 जुलाई को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का व्यापक असर देखा गया।
यूनियनों ने दावा किया कि करीब 25 करोड़ कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। इसका सबसे बड़ा प्रभाव बैंकिंग, डाक सेवाओं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पड़ा है।
मजदूर-विरोधी नीतियों और लेबर कोड्स का विरोध
प्रदर्शन कर रहे यूनियनों का आरोप है कि केंद्र सरकार की नीतियां मजदूर और किसान विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों के निजीकरण, चार नए लेबर कोड्स, और कॉर्पोरेट हितों को बढ़ावा देने वाली योजनाओं से आम श्रमिकों का शोषण हो रहा है। ट्रेड यूनियनों ने इसे मजदूर अधिकारों पर हमला बताया।
देश के कई शहरों में प्रदर्शन, रोड-जाम और रैलियां
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कोलकाता, रांची, भुवनेश्वर, सिलीगुड़ी, और केरल के कोट्टायम में हड़ताल का व्यापक असर रहा।
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कोलकाता के जादवपुर में सीपीआईएम समर्थकों ने बड़ी रैली निकाली।
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रांची में बसें डिपो में खड़ी रहीं और ऑटो स्टैंड खाली पड़ा रहा।
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ओडिशा में राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया गया।
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केरल में दुकानें और मॉल बंद रहे।
सार्वजनिक परिवहन और सेवाएं प्रभावित
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बैंकिंग और बीमा सेवाएं बाधित रहीं।
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डाक सेवाओं में देरी, कई डिलीवरी केंद्र ठप।
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सरकारी बस सेवाएं रुकीं, जिससे यात्रियों को दिक्कत हुई।
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कोयला खनन और औद्योगिक इकाइयों में भी कामकाज बाधित।
किसानों और ग्रामीण मजदूरों का समर्थन भी शामिल
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और कृषि मजदूर संगठनों ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में सभाएं, रैलियां और सड़क जाम जैसे आंदोलन देखने को मिले।
हड़ताल शांतिपूर्ण लेकिन असरदार
यूनियनों ने कहा है कि हड़ताल पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इसका मकसद सरकार को मजदूरों और किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाना है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में यातायात में बाधा और सार्वजनिक सेवाओं की रुकावट की वजह से आम लोगों को परेशानी हुई।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
सरकार की ओर से इस हड़ताल पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी इसे सीमित असर वाली हड़ताल बताया जा सकता है। यूनियनों का कहना है कि यह केवल शुरुआत है और अगर मांगे नहीं मानी गईं, तो बड़ा आंदोलन होगा।