- Hindi News
- बिजनेस
- अब ओला-उबर की राइड पड़ेगी महंगी: केंद्र सरकार ने पीक ऑवर्स में दोगुना किराया वसूलने की दी मंजूरी
अब ओला-उबर की राइड पड़ेगी महंगी: केंद्र सरकार ने पीक ऑवर्स में दोगुना किराया वसूलने की दी मंजूरी
Business

केंद्र सरकार ने ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं को लेकर नई मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 जारी की हैं। इन नए नियमों के तहत अब ओला, उबर, रैपिडो और इनड्राइव जैसी कंपनियां पीक ऑवर्स में बेस फेयर का दोगुना किराया (2x) तक वसूल सकेंगी।
यह पहले अधिकतम 1.5 गुना था। इसके साथ ही राइड कैंसिल करने वाले ड्राइवरों पर जुर्माना और न्यूनतम किराया सुनिश्चित करने जैसे प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।
क्या हैं नए नियम? जानिए प्रमुख बातें
1. पीक ऑवर्स में किराया दोगुना तक
अब सुबह और शाम के व्यस्त समय यानी 8–11 बजे सुबह और 5–9 बजे शाम के बीच यदि आप ऐप कैब बुक करते हैं तो बेस फेयर का अधिकतम 2 गुना किराया लिया जा सकता है। पहले यह सीमा 1.5x थी।
उदाहरण: अगर बेस फेयर ₹100 है, तो पीक टाइम में ₹200 तक किराया हो सकता है।
2. नॉन-पीक टाइम में भी न्यूनतम किराया तय
कम डिमांड वाले समय यानी नॉन-पीक आवर्स में किराया बेस फेयर का कम से कम 50% होगा। इससे ड्राइवरों की आय में स्थिरता आएगी।
3. ड्राइवर द्वारा कैंसिल करने पर 10% जुर्माना
यदि ड्राइवर बिना उचित कारण के राइड कैंसिल करता है, तो उस पर बेस किराए का 10% तक जुर्माना लगेगा। अधिकतम जुर्माना ₹100 तय किया गया है।
4. सभी ड्राइवरों के लिए बीमा अनिवार्य
नई गाइडलाइंस के अनुसार, सभी कैब या बाइक टैक्सी ड्राइवरों को अब ₹5 लाख का बीमा कवर देना होगा।
बेस फेयर कौन तय करता है?
बेस किराया शहर और वाहन के अनुसार राज्य सरकारें तय करती हैं, क्योंकि परिवहन राज्यों का विषय है। इस पर स्थानीय ट्रैफिक, दूरी और वाहन श्रेणी (बाइक, ऑटो, टैक्सी आदि) के आधार पर निर्णय होता है।
कब से होंगे लागू ये नियम?
केंद्र ने सभी राज्यों को कहा है कि सितंबर 2025 तक इन नियमों को लागू कर लिया जाए। इसके लिए राज्यों को अपने-अपने परिवहन नियमों में संशोधन करने होंगे।
ग्राहकों पर सीधा असर
इन नए नियमों से एक ओर जहां ड्राइवरों की आय को सुरक्षा मिलेगी, वहीं ग्राहकों को पीक टाइम में अधिक किराया देना होगा। हालांकि इससे राइड कैंसिलेशन की समस्या और ओवरचार्जिंग की शिकायतों में कुछ हद तक कमी आने की उम्मीद है।