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ट्रंप की नई नीति: अमेरिकी यूनिवर्सिटीज़ में सिर्फ 5% भारतीय छात्रों को मिलेगा दाखिला, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर 15% की सीमा
Digital Desk

अमेरिकी सरकार की नई गाइडलाइंस के तहत नौ प्रमुख यूनिवर्सिटीज़ में इंटरनेशनल छात्रों की संख्या 15% तक सीमित कर दी गई है, जिसमें किसी एक देश से सिर्फ 5% छात्र ही हो सकते हैं। इस फैसले से भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका में उच्च शिक्षा पाना और मुश्किल हो सकता है
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की नौ प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ को एक सख्त मेमो जारी किया है, जिसमें फेडरल फंडिंग जारी रखने के लिए कुछ नई शर्तों का पालन करने को कहा गया है। सबसे अहम बदलावों में से एक है इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या पर कड़ा प्रतिबंध – कुल अंडरग्रेजुएट नामांकन का केवल 15% विदेशी छात्र हो सकते हैं, और इनमें से किसी एक देश से अधिकतम 5% ही हो सकते हैं।
यह नियम भारतीय छात्रों के लिए खासतौर पर चिंता का कारण है, क्योंकि अमेरिका में इंटरनेशनल छात्रों में भारत और चीन का सबसे बड़ा हिस्सा है — लगभग 35%। नए नियमों के चलते, इन देशों के छात्रों को सीमित सीटों में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
मेमो में दिए गए प्रमुख निर्देश:
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विदेशी छात्रों की संख्या सीमित: कुल अंडरग्रेजुएट छात्रों में केवल 15% इंटरनेशनल स्टूडेंट्स और किसी एक देश से अधिकतम 5%।
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एडमिशन और स्कॉलरशिप नियम: एडमिशन और फाइनेंशियल एड में जाति, लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।
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पब्लिक डेटा: छात्रों की भर्ती संबंधी डेटा (जाति, लिंग, देश के अनुसार) सार्वजनिक करना होगा।
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स्टैंडर्ड टेस्ट अनिवार्य: सभी उम्मीदवारों के लिए SAT जैसे स्टैंडर्डाइज्ड टेस्ट अनिवार्य होंगे।
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फीस और खर्च पर नियंत्रण: अगले 5 वर्षों तक ट्यूशन फीस फ्रीज़ रहेगी, प्रशासनिक खर्च कम करने पर ज़ोर।
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एंडोमेंट शर्तें: बड़े फंड वाली यूनिवर्सिटीज़ को साइंस कोर्सेज़ में पढ़ने वाले छात्रों की फीस माफ करनी होगी।
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राजनीतिक संतुलन: यूनिवर्सिटीज़ से उम्मीद की गई है कि वे रूढ़िवादी विचारधारा को दबाने वाली नीतियों से दूर रहें।
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विदेशी छात्रों की वैल्यू स्क्रीनिंग: इंटरनेशनल छात्रों की "अमेरिकी और पश्चिमी मूल्यों" के प्रति सोच की जांच की जाएगी।
किन यूनिवर्सिटीज़ को भेजा गया है मेमो?
इन नौ टॉप यूनिवर्सिटीज़ को यह मेमो भेजा गया है:
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यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना
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ब्राउन यूनिवर्सिटी
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डार्टमाउथ कॉलेज
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एमआईटी (MIT)
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यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया
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यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया
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यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस
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यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया
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वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी
इन संस्थानों में भारतीय छात्रों की बड़ी संख्या पढ़ती है, और यह निर्णय उनके लिए नए प्रवेश में मुश्किलें पैदा कर सकता है।
अब आगे क्या?
फिलहाल, ये नए नियम भारतीय छात्रों के लिए इन प्रमुख यूनिवर्सिटीज़ में दाखिला पाना और कठिन बना सकते हैं। 5% की देशवार सीमा के कारण, प्रतिस्पर्धा और अधिक बढ़ेगी। छात्रों को अब वैकल्पिक यूनिवर्सिटीज़ तलाशनी पड़ सकती हैं या अधिक खर्चीले विकल्पों पर विचार करना होगा