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ज्येष्ठ मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2025: जानें व्रत की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
Dharm desk

हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से संबंधित प्रत्येक तिथि विशेष मानी जाती है। जहां भाद्रपद माह में आने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्यापक स्तर पर मनाई जाती है, वहीं हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मासिक जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
यह व्रत खासकर उन भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं और नियमित रूप से व्रत-पूजा करना चाहते हैं।
ज्येष्ठ मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
वर्ष 2025 में ज्येष्ठ मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 20 मई 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 मई को शाम 5:51 बजे होगी और इसका समापन 21 मई को शाम 4:55 बजे होगा। चूंकि अष्टमी तिथि का आरंभ सूर्यास्त के बाद हो रहा है और रात में ही पूजा का महत्व अधिक होता है, इसलिए व्रत 20 मई को ही मान्य रहेगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस पावन दिन पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप 'लड्डू गोपाल' की पूजा का विशेष महत्व होता है। पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:57 बजे से 12:38 बजे तक रहेगा। इस दौरान 41 मिनट का विशेष समय रहेगा जिसमें श्रद्धापूर्वक पूजन करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
पूजा विधि
मासिक जन्माष्टमी के दिन उपवास रखने वाले भक्त दिनभर फलाहार करते हैं और रात्रि के समय श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं। लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं, माखन-मिश्री, तुलसी पत्ते, फल, दूध आदि अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भजन-कीर्तन और श्रीकृष्ण जन्म की आरती की जाती है।
मासिक जन्माष्टमी का महत्व
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी आध्यात्मिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने और भगवान श्रीकृष्ण की विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत साधकों को मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करने से मनुष्य के भीतर की नकारात्मकता समाप्त होती है और वह सच्चे धर्म और कर्म के मार्ग पर अग्रसर होता है। मासिक जन्माष्टमी उन लोगों के लिए विशेष अवसर है जो प्रतिवर्ष जन्माष्टमी तक प्रतीक्षा नहीं करना चाहते, बल्कि हर माह श्रीकृष्ण को समर्पित व्रत-पूजा के माध्यम से अपनी आस्था व्यक्त करना चाहते हैं।