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कब है वैशाख पूर्णिमा व्रत? जानें स्नान-दान और पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व व विधि
Dharm Desk

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि का अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है।
यह तिथि केवल उपवास और पूजा का दिन नहीं बल्कि स्नान, दान और तप के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, सत्यनारायण कथा और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
वैशाख पूर्णिमा व्रत कब रखा जाएगा?
दृक पंचांग के मुताबिक, वैशाख पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 मई 2025, रविवार को रात 8:01 बजे से होगी, और इसका समापन 12 मई, सोमवार को रात 10:25 बजे होगा।
उदयातिथि के आधार पर, वैशाख पूर्णिमा व्रत 12 मई 2025 को रखा जाएगा। इसी दिन स्नान, व्रत, पूजा और दान-पुण्य का विधान होगा।
वैशाख पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी या गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
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पूजा स्थल को शुद्ध करके भगवान विष्णु या भगवान बुद्ध की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
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पीले या लाल वस्त्र पर मूर्ति को विराजमान कर चंदन, पुष्प, धूप-दीप आदि से पूजा करें।
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फल, खीर, पंचामृत, मिठाई और तुलसी पत्र से भगवान को भोग लगाएं।
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संकल्प लेकर व्रत रखें और दिनभर उपवास करें।
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शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करें।
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सत्यनारायण कथा का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
वैशाख पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
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यह तिथि बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी प्रसिद्ध है। इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, बोधि प्राप्ति और महापरिनिर्वाण तीनों घटनाएं घटित हुई थीं।
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इस दिन गंगा, यमुना या किसी भी तीर्थ स्थान पर स्नान करने से पापों का क्षय होता है।
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जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल से भरे घड़े, चप्पलें या पंखे का दान करना अत्यंत पुण्यदायक होता है।
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पितरों के निमित्त तर्पण और जलदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
🔔 ध्यान दें: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और प्राचीन शास्त्रों पर आधारित है। कृपया अपनी श्रद्धा और परंपरा के अनुसार ही इसका पालन करें।