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सत्यकथा: जादू-टोना के शक में पड़ोसी की क्रूर हत्या, आरोपी को फांसी की सजा
Satyakatha
खंडवा जिले की जिला अदालत ने एक भयावह हत्याकांड में आरोपी चंपालाल उर्फ नंदू को फांसी की सजा सुनाई है।
यह मामला अदालत ने “रेयर ऑफ द रेयर” यानी अत्यंत दुर्लभ और गंभीर अपराध के रूप में माना। घटना का कारण चंपालाल का अंधविश्वास था कि उसके पड़ोसी रामनाथ जादू-टोना कर उसके परिवार के काम में विघ्न डाल रहे हैं।
हत्याकांड की घटना
घटना 12 दिसंबर 2024 की रात पंधाना थाना क्षेत्र के ग्राम छनेरा में हुई। कड़ाके की सर्दी में रामनाथ बिलोटिया अपने घर में सो रहे थे। वहीं, उनके पड़ोसी चंपालाल को शक था कि रामनाथ उनके परिवार पर जादू-टोना कर रहे हैं। महीनों तक मन में बैचेन रहने के बाद चंपालाल ने उस रात रामनाथ को मौत के घाट उतारने का फैसला किया।
रात लगभग 2:30 बजे, चंपालाल कुल्हाड़ी लेकर घर से बाहर निकला। जैसे ही रामनाथ पेशाब करने के लिए बाहर आए, चंपालाल ने उन पर हमला कर दिया। पति की आवाज सुनकर उनकी पत्नी शांतिबाई बाहर आईं, तो उन्होंने देखा कि चंपालाल रामनाथ पर कुल्हाड़ी से हमला कर रहा था। पहले वार में रामनाथ घायल हुए, लेकिन आरोपी ने दोबारा हमला कर उनकी गर्दन काट दी। घटना के बाद चंपालाल शव के पास बैठा रहा और लोगों को धमकाने लगा।
साक्ष्य और अदालत की प्रक्रिया
पुलिस ने आरोपी को मौके से गिरफ्तार किया। जांच में घटनास्थल पर मौजूदगी, डीएनए रिपोर्ट और पत्नी शांतिबाई के प्रत्यक्षदर्शी बयान को निर्णायक माना गया। अभियोजन ने घटना से जुड़े फोटो और अन्य साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए, जिनसे अपराध की गंभीरता स्पष्ट हुई।
कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि आरोपी ने बिना किसी विवाद या रंजिश के, अंधविश्वास के चलते हत्या की। परिस्थितियां अत्यंत जघन्य थीं। इसलिए यह मामला रेयर ऑफ द रेयर के तहत आता है और आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई।
अभियुक्त और घटना की पृष्ठभूमि
चंपालाल पीथमपुर में फैक्ट्री में काम करता है। वह हत्या से दो दिन पहले अपने गांव आया था। उसे शक था कि रामनाथ जादू-टोना कर रहे हैं और उसके परिवार के काम बिगड़ रहे हैं। घटना से पहले चंपालाल ने रात में घात लगाकर इंतजार किया और जैसे ही रामनाथ बाहर निकले, उन पर हमला कर दिया।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचना दी गई। आरोपी ने मौके पर मौजूद लोगों और पुलिसकर्मियों को भी धमकाया, लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने लगभग दस माह की सुनवाई के बाद 21 अक्टूबर को आरोपी को फांसी की सजा सुनाई।
कोर्ट का निर्णय और निष्कर्ष
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अनिल चौधरी की अदालत ने कहा कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य, घटनास्थल पर मौजूद रिकॉर्ड, डीएनए रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शी के बयान पर्याप्त हैं। परिस्थितियों और सबूतों के आधार पर अपराध सिद्ध हो गया। अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 103(1) के तहत दोषी ठहराया।
इस तरह, खंडवा का यह मामला एक अत्यंत जघन्य और दुर्लभ अपराध के रूप में दर्ज हुआ, जिसमें अंधविश्वास और शक ने इंसानी जान ले ली।
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