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मरवाही में खुले में पड़ा 800 क्विंटल धान भीगा, अंकुरित हुआ अनाज: बारदाने भी खराब, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
Gaurela-Pendra-MarwahI, CG

जिले के मरवाही धान खरीदी केंद्र में प्रशासनिक लापरवाही के चलते करीब 800 क्विंटल धान बारिश में भीगकर अंकुरित और खराब हो गया है। खरीदी के बाद समय पर धान का उठाव नहीं होने से यह संकट खड़ा हुआ है। खुले आसमान के नीचे रखे करीब 1,400 बोरी धान भीग चुके हैं, वहीं सैकड़ों बारदाने भी अब उपयोग लायक नहीं रहे।
लगातार बारिश से बिगड़ी हालत, धान हो रहा अंकुरित-सड़ा
मरवाही क्षेत्र में बीते कई दिनों से तेज बारिश हो रही है। खुले में पड़ा धान न सिर्फ गीला हुआ बल्कि अंकुरित होने लगा है और कुछ जगहों पर सड़ने की स्थिति भी बन गई है। केंद्र में आज भी कई क्विंटल धान बिना किसी शेड या तिरपाल के खुले में पड़ा है।
समय पर नहीं हुआ उठाव, किसानों की मेहनत बर्बाद
समर्थन मूल्य पर किसानों से धान तो खरीद लिया गया, लेकिन उसका समय पर उठाव नहीं किया गया, जिससे यह संकट गहराया। किसानों का कहना है कि बारिश से पहले ही धान को सुरक्षित गोदामों तक पहुंचा दिया जाना चाहिए था, लेकिन प्रशासनिक सुस्ती के कारण उनकी फसल अब बर्बाद हो रही है।
पूर्व विधायक बोले- कांग्रेस शासन में नहीं होती थी ऐसी लापरवाही
पूर्व विधायक डॉ. के.के. ध्रुव ने इसे शासन-प्रशासन की घोर लापरवाही करार दिया है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में धान खरीदी के साथ उसका त्वरित उठाव भी सुनिश्चित किया जाता था। वर्तमान सरकार की निष्क्रियता से किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है।" उन्होंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
विपणन अधिकारी बोले- सॉफ्टवेयर की तकनीकी दिक्कत
वहीं, इस मामले में जिला विपणन अधिकारी का कहना है कि सॉफ्टवेयर में तकनीकी गड़बड़ी के कारण उठाव में देरी हुई। उनका तर्क है कि कम मात्रा में मौजूद धान को समितियां सुरक्षित रख सकती थीं, लेकिन केंद्र स्तर पर कोई वैकल्पिक प्रबंध नहीं किया गया।
स्थानीयों ने किया विरोध, कार्रवाई की मांग
घटना के बाद किसानों और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश है। कई लोगों ने खरीदी केंद्र पहुंचकर प्रदर्शन किया और उचित मुआवजा व जवाबदेही तय करने की मांग की। उनका कहना है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से उच्चाधिकारियों से शिकायत करेंगे।
खेती पर दोहरी मार: मेहनत गई, मुआवजा नहीं मिला
इस हादसे से पहले ही महंगे बीज और खाद की मार झेल रहे किसानों को अब अपनी उपज के नष्ट होने का संकट भी झेलना पड़ रहा है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी और किसके जिम्मे जाएगी।