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जबलपुर से बांग्लादेशी दंपती का डिपोर्टेशन, 2 साल जेल की सजा पूरी
जबलपुर
गुजरात मार्ग से भारत में प्रवेश, सजा पूरी होने के बाद बॉर्डर भेजे गए आरोपी
बांग्लादेश से अवैध रूप से मध्यप्रदेश पहुंचे एक महिला और पुरुष को दो साल की जेल की सजा पूरी होने के बाद जबलपुर से उनके देश भेज दिया गया। मीनारा बेगम और मोहम्मद मोसूर 2023 में गुजरात के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे और जबलपुर में छिपकर भीख मांगकर जीवन यापन कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि दोनों संदिग्ध गतिविधियों के कारण निगरानी में आए और पूछताछ में वे अपनी पहचान साबित नहीं कर सके। जांच में स्पष्ट हुआ कि वे अवैध बांग्लादेशी नागरिक हैं। गोरखपुर थाना पुलिस ने उन्हें विदेशी अधिनियम की धारा 14ए के तहत गिरफ्तार किया और न्यायालय में पेश किया गया।
अदालत की सजा और हाईकोर्ट में अपील
निचली अदालत ने प्रारंभ में दोनों आरोपियों को चार-चार साल की जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की। सरकारी वकील की पैरवी के बाद सजा घटाकर दो साल कर दी गई। दिसंबर 2025 में दोनों आरोपी अपनी सजा पूरी कर चुके थे। मीनारा बेगम को महिला सुधार केंद्र और मोहम्मद मोसूर को सिविल लाइन थाने में अस्थायी रूप से रखा गया।
डिपोर्टेशन की प्रक्रिया पूरी
सजा पूरी होने के बाद केंद्र और राज्य सरकार के समन्वय से डिपोर्टेशन की कार्रवाई की गई। दोनों को सड़क मार्ग से पश्चिम बंगाल के मालदा जिले होते हुए बांग्लादेश सीमा तक पहुंचाया गया, लगभग 1200 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर उनके देश भेज दिया गया। सीमा पर बीएसएफ की मदद से उन्हें बांग्लादेश सरकार को सौंपा गया।
पुलिस ने बताया मामला और चेतावनी
एएसपी सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि दोनों आरोपी अवैध रूप से भारत में प्रवेश किए थे और उनके पास कोई वैध पहचान या निवास दस्तावेज नहीं थे। पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि बेहतर जीवन की तलाश में अवैध प्रवेश किया। पुलिस ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में अवैध घुसपैठ पर सतर्कता जारी है और सजा पूरी होने के बाद आरोपियों की वतन वापसी सुनिश्चित की जाती है।
जबलपुर पुलिस ने बताया कि मीनारा और मोसूर गोरखपुर मैदान में रात बिताते और दिन में भीख मांगते थे। सूचना मिलने पर पुलिस टीम ने उन्हें पकड़ा। इससे पहले भी जबलपुर और प्रदेश के अन्य जिलों में अवैध बांग्लादेशी नागरिक पकड़े जा चुके हैं। अधिकारीयों का कहना है कि सीमापार से बेहतर जीवन या रोजगार की तलाश में लोग प्रवेश करते हैं, लेकिन कानून की निगरानी सख्त है।
यह मामला राज्य और केंद्र सरकार की अवैध घुसपैठ रोकने की नीति का उदाहरण है। पुलिस लगातार निगरानी, गिरफ्तारी और डिपोर्टेशन सुनिश्चित कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में भी ऐसी अवैध गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और राज्य की सुरक्षा तथा सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सतर्कता जारी रहेगी।
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