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भारत-पाक सैन्य तनाव पर चीन का दावा, भारत ने किया खंडन: कहा—सीजफायर में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं
अंतराष्ट्रीय न्यूज
मई में हुए चार दिवसीय भारत-पाक संघर्ष को लेकर चीन ने मध्यस्थता का दावा किया, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि सैन्य बातचीत से ही हालात सामान्य हुए
भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने में हुए सैन्य तनाव को लेकर चीन ने अब दावा किया है कि उसने दोनों देशों के बीच हालात शांत कराने में भूमिका निभाई थी। हालांकि भारत सरकार ने चीन के इस बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि संघर्ष विराम पूरी तरह द्विपक्षीय सैन्य संवाद का नतीजा था और इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं रही। यह बयान ऐसे समय आया है, जब इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी इसी तरह का दावा कर चुके हैं।
चीन का दावा क्या है
मंगलवार को बीजिंग में एक कार्यक्रम के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई संघर्षों को सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच मई में हुए सैन्य तनाव का उल्लेख करते हुए कहा कि चीन ने उस दौरान हालात को काबू में रखने के लिए प्रयास किए। बाद में चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बयान को आधिकारिक रूप से साझा भी किया।
भारत का स्पष्ट रुख
भारत सरकार ने चीन के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत-पाक तनाव का समाधान दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत से हुआ। भारत के अनुसार, जब हालात गंभीर हुए और पाकिस्तान को सैन्य स्तर पर नुकसान उठाना पड़ा, तब पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने भारतीय पक्ष से संपर्क किया। इसके बाद दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई और 10 मई से जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों पर रोक लगाने पर सहमति बनी।
कैसे शुरू हुआ था सैन्य टकराव
यह तनाव 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बढ़ा, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारत ने 6 और 7 मई की रात पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों और सैन्य ढांचे पर सटीक हमले किए। इन कार्रवाइयों में पाकिस्तान के कई एयरबेस और रणनीतिक ठिकानों को नुकसान पहुंचने की पुष्टि हुई थी। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने इन्हें निष्क्रिय कर दिया।
चीन की भूमिका पर सवाल क्यों
चीन और पाकिस्तान के करीबी रणनीतिक रिश्तों के कारण उसके दावे पर सवाल उठ रहे हैं। चीन न केवल पाकिस्तान का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता है, बल्कि दोनों देशों के बीच सैन्य और आर्थिक सहयोग भी गहरा रहा है। इसी वजह से भारत सहित कई देशों में यह सवाल उठता रहा है कि ऐसे मामलों में चीन कितना निष्पक्ष रह सकता है।
फर्जी सूचनाओं को लेकर भी आरोप
अमेरिकी एजेंसियों की एक रिपोर्ट में पहले आरोप लग चुके हैं कि संघर्ष के दौरान चीन और पाकिस्तान से जुड़े सोशल मीडिया नेटवर्क्स ने भारत के खिलाफ भ्रामक और फर्जी जानकारियां फैलाने की कोशिश की थी। इनमें भारतीय लड़ाकू विमानों को नुकसान पहुंचाने से जुड़ी AI-जनित तस्वीरें भी शामिल थीं।
भारत सरकार का रुख साफ है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे को द्विपक्षीय मानती है। चीन के ताजा बयान के बाद कूटनीतिक हलकों में चर्चा तेज हुई है, लेकिन भारत ने दोहराया है कि भारत-पाक संबंधों से जुड़े फैसले किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से नहीं, बल्कि सीधे संवाद से ही तय होंगे।
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