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कैंसर के इलाज में डिजिटल पहल: AIIMS भोपाल ने लॉन्च किया फेफड़ों के कैंसर के लिए विशेष मोबाइल ऐप
भोपाल (म.प्र.)
घर बैठे लक्षणों की निगरानी, डॉक्टरों से सीधा संपर्क और इलाज में निरंतरता—फेफड़ों के कैंसर मरीजों को मिलेगी नई सुविधा
भारत में फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए इलाज की दिशा में एक अहम डिजिटल कदम उठाया गया है। AIIMS भोपाल ने फेफड़ों के कैंसर मरीजों की देखभाल को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक विशेष मोबाइल हेल्थ ऐप पेश की है। यह ऐप मरीजों को घर बैठे अपने लक्षणों की जानकारी दर्ज करने, इलाज से जुड़े दुष्प्रभाव बताने और विशेषज्ञ डॉक्टरों से सीधे संपर्क में रहने की सुविधा देगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल कैंसर देखभाल को अधिक सुलभ, किफायती और निरंतर बनाने में मददगार साबित होगी।
AIIMS भोपाल की असिस्टेंट प्रोफेसर (मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हेमेटोलॉजी) डॉ. आकांशा चौधरी ने 19 से 21 दिसंबर के बीच मुंबई में आयोजित 9वीं लंग कैंसर रिव्यू मीटिंग में इस डिजिटल मॉडल को प्रस्तुत किया। इस राष्ट्रीय स्तर की कॉन्फ्रेंस में AIIMS दिल्ली, मेदांता, मणिपाल हॉस्पिटल, राजीव गांधी कैंसर हॉस्पिटल और HCG जैसे प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हुए।
क्यों जरूरी है यह पहल
भारत में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि उन्नत इलाज सुविधाएं अब भी बड़े शहरों तक सीमित हैं। फेफड़ों के कैंसर के मरीजों को अक्सर बार-बार अस्पताल आना पड़ता है, जिससे आर्थिक और मानसिक बोझ बढ़ता है। इस डिजिटल ऐप के जरिए मरीज अस्पताल आए बिना भी नियमित निगरानी और विशेषज्ञ सलाह पा सकेंगे, जिससे समय पर इलाज में बदलाव संभव होगा।
कैसे काम करेगी ऐप
यह ऐप मरीजों को अपने दैनिक लक्षण, दवाओं के प्रभाव और किसी भी असुविधा की जानकारी दर्ज करने का विकल्प देती है। दर्ज किए गए डेटा के आधार पर डॉक्टर मरीज की स्थिति का आकलन कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर तुरंत मार्गदर्शन दे सकते हैं। इससे इलाज के दौरान होने वाली जटिलताओं को शुरुआती स्तर पर ही पहचाना जा सकेगा।
पृष्ठभूमि और वैज्ञानिक आधार
डॉ. आकांशा चौधरी ने कॉन्फ्रेंस में मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल, बोस्टन के एक अध्ययन के निष्कर्ष भी साझा किए। इस अध्ययन में पाया गया कि डिजिटल हेल्थ ऐप्स से कैंसर मरीजों की निगरानी बेहतर होती है और उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार आता है। भारत जैसे बड़े और विविध देश में यह मॉडल विशेष रूप से प्रभावी हो सकता है।
AIIMS भोपाल की मौजूदा तैयारियां
AIIMS भोपाल पहले से ही नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS), कीमोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसी आधुनिक उपचार सुविधाएं प्रदान कर रहा है। डिजिटल तकनीक को इन उपचारों के साथ जोड़कर संस्थान दूरदराज और ग्रामीण इलाकों के मरीजों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की दिशा में काम कर रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले समय में इस ऐप को व्यापक स्तर पर लागू किया जा सकता है। यदि इसका प्रभाव सकारात्मक रहा, तो अन्य प्रकार के कैंसर मरीजों के लिए भी ऐसे डिजिटल समाधान विकसित किए जाने की संभावना है।
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