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लिफ्ट दुर्घटना में कारोबारी की मौत, पहली बार कोर्ट ने 59 लाख का मुआवज़ा देने का दिया आदेश
BHOPAL, MP

राजधानी भोपाल में बहुमंज़िला इमारत में लगी लिफ्ट की तकनीकी खामी और लापरवाही के चलते एक कारोबारी की दर्दनाक मौत हो गई। मामले की सुनवाई के बाद भोपाल जिला अदालत ने कोन लिफ्ट्स के प्रोपराइटर सौरभ श्रीवास्तव को दोषी मानते हुए मृतक के परिजनों को ₹59,08,732 की क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया है।
क्या है मामला?
मामला वर्ष 2018 का है जब भवानी हाउसिंग एंड इन्वेस्टमेंट प्रा. लि. द्वारा नरेला शंकरी स्थित 'भवानी शंकर अवोड' नामक बहुमंज़िला भवन में कोन लिफ्ट्स से लिफ्ट लगाने का अनुबंध किया गया था। अनुबंध में साफ शर्तें थीं कि लिफ्ट उच्च गुणवत्ता की होगी और एक साल तक मुफ्त मेंटेनेंस मिलेगा।
4 जून 2018 को कंपनी के निदेशक सुभाषचंद्र राजपूत जब पांचवीं मंज़िल से लिफ्ट में उतरने के लिए बटन दबाया, तो लिफ्ट के बिना पहुंचे ही उसका दरवाज़ा खुल गया, जिससे वे लिफ्ट की जगह खाली शाफ्ट में गिर गए। गंभीर रूप से घायल सुभाषचंद्र को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई।
कोर्ट ने माना लापरवाही
वादी पक्ष ने अदालत में बताया कि लिफ्ट लगाने वाली कंपनी ने सुरक्षा नियमों की घोर उपेक्षा की। न तो लिफ्ट का रखरखाव सही से किया गया, न ही उसके संचालन के लिए कोई वैध विद्युत लाइसेंस लिया गया। अदालत ने माना कि यदि कंपनी ने लिफ्ट को मानकों के अनुरूप लगाया होता, तो यह हादसा नहीं होता।
प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या कहा?
मृतक की पत्नी सावित्री दुबे, भाई रघुनंदन सिंह राजपूत और पुत्र पुष्पेन्द्र सिंह राजपूत ने न्यायालय में गवाही दी कि लिफ्ट बार-बार खराब रहती थी और उसे कई बार मौखिक रूप से शिकायत की गई थी, लेकिन कंपनी ने कोई स्थायी समाधान नहीं किया।
59 लाख का मुआवज़ा तय
न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि मृतक की आय प्रति वर्ष ₹18 लाख के लगभग थी और उनके आश्रितों – पत्नी, दो बेटे और एक बेटी – को आय, प्रेम, स्नेह व मानसिक क्षति का नुकसान हुआ है।
इस आधार पर कोर्ट ने कोन लिफ्ट्स को आदेश दिया कि वह—
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₹59,08,732 मुआवज़ा राशि का भुगतान करे,
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निर्णय की तारीख से वसूली की तारीख तक 7% वार्षिक साधारण ब्याज अदा करे,
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वादीगण को वाद व्यय और अधिवक्ता शुल्क भी अदा करे।
जज का फैसला
यह फैसला द्वितीय जिला न्यायाधीश माननीय मनोहरलाल पाटीदार जी की अदालत से 15 मई 2025 को सुनाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता दीपेश जोशी एवं अक्षय शर्मा दवारा मामले की पेरवी की गई। जिस पर न्यायाधीश ने कहा कि "लिफ्ट की खामी और उसका समय पर निरीक्षण न किया जाना गंभीर लापरवाही है।"