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"चांदबड़ की शराब दुकान में ‘ बंद शटर के नीचे’ से होती नशे की डिलीवरी, प्रशासन मूकदर्शक!"
BHOPAL, MP

राजधानी भोपाल की सड़कों पर अगर कानून व्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोई है, तो वो है – रसूख और लापरवाही का गठजोड़। और इसका जीता-जागता उदाहरण है स्टेशन रोड चांदबड़ सेमरा साईं राम स्थित शराब दुकान', जो अब एक सामान्य दुकान नहीं रही, बल्कि अवैध गतिविधियों, नशे की खुली मंडी और नियमों की धज्जियां उड़ाने का अड्डा बन चुकी है।
यह दुकान रात के अंधेरे से लेकर सुबह की रोशनी तक शराब बेचती है। जब राज्य सरकार ने शराब बिक्री के लिए समय-सीमा तय कर रखी है, तो फिर यहां देर रात और सुबह-सुबह तक कैसे शराब बिक रही है? यह सवाल केवल जनता का नहीं, बल्कि अब पूरे शहर की व्यवस्था पर उठने वाला एक गंभीर प्रश्न बन गया है।
हर नियम का खुलेआम उल्लंघन, लेकिन प्रशासन मौन!
दुकान के बाहर लगे शटर का बंद होना सिर्फ दिखावा है। अंदर से शराब की बिक्री पूरे समय जारी रहती है। शराब शटर के नीचे से थमाई जाती है, नशेड़ी वहीं खड़े-खड़े पीते हैं और फिर पूरे मोहल्ले में उत्पात मचाते हैं।
सरकार ने राज्यभर में 'हाता प्रथा' पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है, लेकिन इस दुकान में आज भी अवैध रूप से बैठकर शराब पीने की सुविधा चालू है। एक पूरा हाता यहां रातभर सक्रिय रहता है — और इस सबकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को है, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती।
शिकायतें दर्ज, लेकिन कार्रवाई नहीं
स्थानीय रहवासी इस दुकान की वजह से महीनों से परेशान हैं। बच्चों का स्कूल जाना दूभर हो गया है, महिलाओं का सड़क पर निकलना मुश्किल हो गया है। कई बार शिकायतें पुलिस, आबकारी विभाग और नगर निगम तक की गईं, लेकिन हर बार फाइलें ठंडे बस्ते में चली गईं।
आखिर क्यों? किसके इशारे पर कार्रवाई नहीं होती?
यह सवाल अब आम आदमी की जुबान से निकलकर मीडिया के मंच तक पहुँच चुका है। लोगों का कहना है कि दुकान संचालक का रसूख इतना मजबूत है कि सरकारी तंत्र भी उसके सामने बेबस नज़र आता है।
नशे का अड्डा बना मोहल्ला, खतरे में सामाजिक ताना-बाना
दुकान के आसपास का माहौल पूरी तरह बिगड़ चुका है। रातभर बाइक पर सवार नशेड़ी आते हैं, शराब पीते हैं, गाली-गलौज करते हैं और सड़क पर उत्पात मचाते हैं। यहां तक कि मोहल्ले की महिलाएं और बुजुर्ग रात में घर से निकलने से डरते हैं।
शराब पीकर होने वाली झगड़ों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन इन सबका जिम्मेदार कौन? दुकान? प्रशासन? या दोनों?
प्रशासन पर जनता का सीधा सवाल — आप कब जागेंगे?
अब हालात इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि जनता पूछ रही है —
"क्या चांदबड़ भोपाल में कोई अलग कानून चलता है?"
"क्या नियम केवल गरीबों और कमजोरों के लिए हैं?"
"प्रशासन की चुप्पी क्या किसी सौदे का संकेत है?"
जब राजधानी में यह हाल है, तो प्रदेश में क्या उम्मीद की जाए?
अब क्या हो?
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इस दुकान की तत्काल जांच होनी चाहिए।
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सीसीटीवी फुटेज खंगाली जाए।
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दुकान पर हो रही 'हाता प्रथा' को बंद कराने की कठोर कार्रवाई हो।
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स्थानीय थाने और आबकारी अधिकारी की भूमिका की समीक्षा की जाए।
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