- Hindi News
- राज्य
- मध्य प्रदेश
- भोपाल में टैक्सी यूनियन की हड़ताल का मिला-जुला असर, यात्रियों की जेब पर बढ़ा बोझ
भोपाल में टैक्सी यूनियन की हड़ताल का मिला-जुला असर, यात्रियों की जेब पर बढ़ा बोझ
Bhopal, MP
.jpg)
भोपाल में सोमवार को टैक्सी यूनियन द्वारा बुलाई गई हड़ताल का असर राजधानी की सड़कों पर आंशिक रूप से नजर आया। यूनियन का दावा था कि शहर की 2500 टैक्सियां सड़कों से नदारद रहेंगी, लेकिन हकीकत में 400 से 500 टैक्सियों ने ही हड़ताल में भाग लिया।
कई टैक्सियां अब भी ऐप आधारित सेवाओं के तहत यात्रियों को सेवा दे रही हैं।
ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की मनमानी
टैक्सियों की संख्या कम होते ही ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने मौके का फायदा उठाया और किराये में मनमानी वसूली शुरू कर दी। भोपाल स्टेशन से जुमराती बाजार तक आम दिनों में 40 रुपए में तय होने वाला सफर सोमवार को 80 रुपए में किया गया। यात्रियों को स्टेशन, बस स्टैंड और एयरपोर्ट जैसी जगहों पर सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ी।
अंबेडकर मैदान में जुटे यूनियन पदाधिकारी
इधर, टैक्सी यूनियन के सैकड़ों पदाधिकारी और चालक अंबेडकर जयंती मैदान में एकत्र हुए, जहां दोपहर तक करीब 250 से अधिक टैक्सियां खड़ी रहीं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को दोहराया। यूनियन के अनुसार यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा, जिसकी अनुमति पहले से पुलिस से ली गई है।
प्रशासन गायब, यात्रियों पर असर
जहां एक ओर चालकों का विरोध प्रदर्शन जारी है, वहीं दूसरी ओर किराया नियंत्रण को लेकर प्रशासनिक निगरानी पूरी तरह नदारद रही। इससे यात्रियों को न केवल असुविधा हुई बल्कि उन्हें जेब भी ढीली करनी पड़ी।
टैक्सी यूनियन की मुख्य मांगे:
-
रेलवे स्टेशनों पर टैक्सी चालकों से अवैध वसूली बंद की जाए, जहां हर फेरे पर 10 रुपए लिया जाता है, पर किसी नियम या रसीद का पालन नहीं होता।
-
एयरपोर्ट और सार्वजनिक स्थानों पर उचित पार्किंग की सुविधा दी जाए, जैसा ऐप बेस्ड सेवाओं को दी जा रही है।
-
प्राइवेट टैक्सी वाहनों की मनमानी पर रोक, जो ओला-उबर की बुकिंग रद्द करवाकर सवारियों को उठा लेते हैं।
-
ओला, उबर, रैपिडो जैसी सेवाओं में चल रहे निजी और टू-व्हीलर वाहनों पर रोक, जिनके पास कमर्शियल परमिट और बीमा नहीं होता।
-
सरकारी तय दरें निजी टैक्सी कंपनियों पर भी लागू हों, ताकि प्रतिस्पर्धा के कारण परंपरागत चालकों का नुकसान न हो।
-
परिवहन विभाग की फिटनेस मशीनों में तकनीकी सुधार, जिनकी खामियों की वजह से चालकों को आर्थिक नुकसान होता है।
-
पैनिक बटन के नाम पर हो रही अतिरिक्त वसूली रोकी जाए, जिसकी कीमत 4 हजार होते हुए भी 13 हजार तक वसूली की जा रही है।
-
टैक्सी यूनियन के स्थायी कार्यालय की व्यवस्था, जिससे संगठन का संचालन व्यवस्थित तरीके से हो सके।
जनता परेशान, समाधान दूर
जहां एक ओर टैक्सी यूनियन अपने अधिकारों और सम्मान की बात कर रही है, वहीं आमजन को हड़ताल के चलते मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। किराए की मनमानी, वाहनों की कमी और प्रशासन की निष्क्रियता ने भोपालवासियों को असहाय कर दिया है।