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जब ट्रक बना दुल्हन की विदाई का साधन, छिंदवाड़ा के सोनू ने पूरे गांव को दिया भावनात्मक सरप्राइज़
आशीष सिंह ठाकुर, छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश
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शादी की विदाई का पल जितना भावुक होता है, उतना ही यादगार भी। आमतौर पर इस मौके पर चमचमाती कारें, लग्जरी गाड़ियां और फूलों से सजी बारातें दिखती हैं, लेकिन छिंदवाड़ा के एक छोटे से गांव में ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने परंपरा को नया मोड़ दे दिया और सबका दिल जीत लिया।
पलटवाड़ा गांव के रहने वाले सोनू वर्मा का सपना था — बिल्कुल सादा लेकिन दिल से जुड़ा हुआ। उसने बरसों पहले ठान लिया था कि जब वह शादी करेगा, तो अपनी दुल्हन को अपनी खुद की गाड़ी में विदा कराकर लाएगा। न कोई दिखावा, न कोई स्टेटस सिंबल — सिर्फ अपना सपना और अपने दम पर खरीदी गई गाड़ी।
लेकिन जब उसकी शादी तय हुई सिवनी जिले के केवलारी की रहने वाली सोनम से, तब तक सोनू के पास न कोई कार थी, न ट्रक। सपना अधूरा था, लेकिन हौसले पूरे थे। उसने मेहनत की, दिन-रात काम किया और आखिरकार एक ट्रक फाइनेंस कर अपने नाम करवाया। यही ट्रक उसके जीवन का साधन भी बना और सपना पूरा करने की पहली सीढ़ी भी।
सपना जो सड़कों पर उतर आया
शादी के दिन जब सारे मेहमान बारात और गाड़ियों का इंतज़ार कर रहे थे, तब सोनू अपने ट्रक को सजवाने में जुटा था। फूलों, रिबनों और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजे उस ट्रक को देखकर हर कोई हैरान रह गया। लेकिन जब दुल्हन सोनम ने मुस्कुराते हुए उस ट्रक में बैठकर विदाई ली, तो हर आंख नम हो गई और हर चेहरा मुस्कान से भर गया।
सोनू खुद ट्रक की ड्राइविंग सीट पर बैठा था, और पीछे बैठी उसकी नई नवेली दुल्हन ट्रक में बज रहे रोमांटिक गीतों का आनंद ले रही थी। यह नज़ारा न केवल अनोखा था, बल्कि एक सच्चे प्रेम, आत्मसम्मान और सपने पूरे करने की मिसाल भी था।
जब परिवार ने भी दिया साथ
इस पूरे फैसले में दुल्हन सोनम और उसके परिवार ने भी सोनू का पूरा साथ दिया। उन्होंने किसी तरह का विरोध नहीं किया, बल्कि इस सादगी भरी विदाई को खुले दिल से स्वीकार किया। दोनों परिवार पढ़े-लिखे, सामाजिक रूप से संपन्न और आधुनिक सोच रखने वाले हैं। बावजूद इसके उन्होंने दिखावे की बजाय दिल से निकले विचार को प्राथमिकता दी।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई विदाई
इस ट्रक विदाई का वीडियो और तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग इस जोड़े की सादगी, समर्पण और सोच की खुले दिल से सराहना कर रहे हैं। गांव में भी यह विदाई चर्चा का विषय बनी हुई है।
यह कहानी सिर्फ एक ट्रक की नहीं, बल्कि उस भरोसे और इरादे की है, जो एक सपने से शुरू हुआ और हकीकत तक पहुंचा। सोनू और सोनम ने ये साबित कर दिया कि सच्चे रिश्तों की सवारी दिल से चलती है — उसमें न तो लग्जरी चाहिए, न दिखावा... बस एक दूसरे का साथ चाहिए।
और यही साथ है जो इस अनोखी विदाई को यादगार बना गया।
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