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G7 समिट के लिए पीएम मोदी को मिला न्योता, कनाडा के नए पीएम मार्क कार्नी ने दी बधाई
Jagran Desk
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भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच एक अहम कूटनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। कनाडा के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर G7 समिट में भाग लेने का औपचारिक न्योता भेजा है। यह सम्मेलन 15 से 17 जून तक कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में आयोजित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस आमंत्रण के लिए मार्क कार्नी का आभार जताया और कनाडा के आम चुनावों में जीत हासिल करने पर उन्हें बधाई भी दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि उन्हें समिट के दौरान कार्नी से मुलाकात का इंतजार रहेगा।
भारत को अंतिम समय में मिला निमंत्रण
गौरतलब है कि भारत को यह आमंत्रण सम्मेलन से महज आठ दिन पहले मिला है। इससे पहले कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत को न्योता नहीं भेजा गया है। रिपोर्ट्स में इसकी वजह भारत-कनाडा संबंधों में आई खटास को बताया गया था।
भारत 2019 से G7 समिट का हिस्सा रहा है
भारत वर्ष 2019 से लेकर अब तक पाँच बार G7 समिट में विशेष आमंत्रित देश (गेस्ट कंट्री) के तौर पर शामिल हो चुका है। G7 की मेजबानी करने वाला देश हर वर्ष कुछ चुनिंदा देशों को आमंत्रित करता है। कनाडा ने भारत से पहले यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया को न्योता भेजा था, जबकि अन्य गेस्ट देशों के नाम अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
भारत-कनाडा रिश्तों में तल्खी का इतिहास
भारत और कनाडा के संबंध 2023 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एक विवादित बयान के बाद से तनावपूर्ण हो गए थे। ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों की भूमिका होने की आशंका जताई थी, जिसे भारत ने राजनीति से प्रेरित और आधारहीन बताया था। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित करते हुए संबंधों को डाउनग्रेड कर दिया था।
क्या है G7?
G7 (ग्रुप ऑफ सेवन) विश्व के सात विकसित और औद्योगिक राष्ट्रों का समूह है जिसमें कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। इसकी स्थापना 1975 में फ्रांस में हुई थी। शुरुआत में यह G6 था, लेकिन 1976 में कनाडा के शामिल होने से यह G7 बना।
1998 में रूस को शामिल कर इसे G8 किया गया था, लेकिन 2014 में क्रिमिया विवाद के चलते रूस को बाहर कर दिया गया। यह समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, पर्यावरण और राजनीतिक मुद्दों पर नीति निर्धारण करता है।
G7 की पहली बैठक क्यों हुई थी?
पहली बैठक सऊदी अरब के ऑयल क्राइसिस और एक्सचेंज रेट संकट के बीच हुई थी। अमेरिकी डॉलर को सोने से अलग करने के फैसले से वैश्विक अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी। ऐसे में पश्चिमी देशों को आपसी समन्वय से नीतियां बनाने की जरूरत महसूस हुई, और तभी से यह वार्षिक सम्मेलन होता आ रहा है।