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ट्रम्प ने 7 देशों के नागरिकों पर पूर्ण बैन लगाया, 15 देशों पर आंशिक प्रतिबंध
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व्हाइट हाउस के पास गोलीबारी के बाद इमिग्रेशन नीतियों में कड़ा बदलाव; एथलीट-राजनयिकों को मिली छूट
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को 7 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। साथ ही 15 अन्य देशों पर आंशिक प्रतिबंध लगाया गया। फिलिस्तीनियों के लिए भी अमेरिका आने की पूरी रोक लागू की गई है।
ट्रम्प प्रशासन ने यह निर्णय पिछले महीने व्हाइट हाउस के पास नेशनल गार्ड्स पर अफगान शरणार्थी द्वारा हुई गोलीबारी की घटना के बाद लिया। इस हमले में दो गार्ड की मौत हुई थी। प्रशासन ने इसे सुरक्षा खामियों और वीजा ओवरस्टे की उच्च दर का हवाला दिया।
नए प्रतिबंध 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे। इसमें स्थायी निवासी (ग्रीन कार्ड धारक), वैध वीजा धारक, छात्र, चिकित्सा और राजनयिक वीजा वाले लोगों को छूट दी गई है।
पूर्ण प्रतिबंध वाले देश अब सात हो गए हैं। इनमें बुर्किना फासो, माली, नाइजर, साउथ सूडान, सीरिया, लाओस और सिएरा लियोन शामिल हैं। 15 अन्य देशों पर आंशिक बैन लगा, जहां केवल कुछ प्रकार के वीजा पर रोक रहेगी। तुर्कमेनिस्तान के नॉन-इमिग्रेंट वीजा पर प्रतिबंध हटा दिया गया है, जबकि इमिग्रेंट वीजा पर रोक जारी है।
पूर्ण बैन का मतलब है कि अधिकांश नागरिक अमेरिका में प्रवेश नहीं कर सकते। इसमें टूरिस्ट, स्टूडेंट, वर्क और इमिग्रेंट वीजा शामिल हैं। आंशिक बैन में केवल कुछ वीजा प्रकार पर रोक रहेगी, बाकी अनुमति दी जाएगी।
26 नवंबर को अफगान शरणार्थी रहमानुल्लाह लाकनवाल ने व्हाइट हाउस के पास नेशनल गार्ड्स पर गोली चलाई थी। घटना में दो सैनिकों की मौत हुई। लाकनवाल 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका आया और 2024 में शरणार्थी दर्जा मिला। इस घटना ने अमेरिका में विदेशी नागरिकों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया में खामियों को उजागर किया।
ट्रम्प की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अवैध और गलत इमिग्रेशन नीतियों ने अमेरिकियों की जिंदगी प्रभावित की है। उनका कहना था कि नए कदम से जोखिमपूर्ण आबादी पर नियंत्रण रहेगा और सुरक्षा मजबूत होगी। ट्रम्प ने कहा, “इस समस्या का समाधान केवल रिवर्स माइग्रेशन यानी लोगों को उनके देश वापस भेजना है।”
विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने और वीजा प्रक्रिया में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे विवादास्पद माना जा सकता है।
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