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कोरापुट से अराकू तक, भारतीय कॉफी बन रही है ‘ग्लोबल ब्रांड’
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भारत की कॉफी पर विशेष चर्चा की। उन्होंने कहा कि “आप सभी मेरे चाय से जुड़ाव को जानते हैं, लेकिन आज मैं कॉफी की बात करना चाहता हूं।” पीएम ने भारतीय कॉफी की वैश्विक लोकप्रियता की प्रशंसा करते हुए ओडिशा के कोरापुट जिले का ज़िक्र किया, जो अब भारत की नई कॉफी राजधानी के रूप में उभर रहा है।
कोरापुट कॉफी : स्वाद, सुगंध और सफलता की मिसाल
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरापुट की कॉफी का स्वाद “अद्भुत” है और इसकी खेती स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक आज़ादी का माध्यम बन गई है। यहां के युवाओं ने कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़कर कॉफी उत्पादन को अपनाया है और अब यह क्षेत्र टिकाऊ आजीविका का केंद्र बन चुका है।
🌱 भारत में कॉफी उत्पादन : दक्षिण भारत है अग्रणी
भारत में दो प्रमुख किस्मों — अरेबिका (Arabica) और रोबस्टा (Robusta) — की खेती होती है।
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कर्नाटक में देश की लगभग 70% कॉफी का उत्पादन होता है।
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केरल और तमिलनाडु इसके बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
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वहीं आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे क्षेत्र अब नई कॉफी बेल्ट के रूप में तेजी से उभर रहे हैं।
कोरापुट की मिट्टी और मौसम हाई-क्वालिटी अरेबिका कॉफी के लिए बेहद उपयुक्त हैं। इस समय यहां करीब 5,000 हेक्टेयर भूमि पर कॉफी की खेती की जा रही है।
कैसे होती है कॉफी की प्रोसेसिंग
ओडिशा ट्राइबल डेवलपमेंट कोऑपरेटिव कॉरपोरेशन लिमिटेड (TDCCOL) कॉफी की खरीद, सुखाने, ग्रेडिंग और मार्केटिंग की पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन करता है। इससे न केवल गुणवत्ता में निरंतरता बनी रहती है, बल्कि आदिवासी किसानों को उचित मूल्य भी मिलता है।
कॉफी एक्सपोर्ट में छलांग
भारत का कॉफी निर्यात लगातार बढ़ रहा है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में कॉफी एक्सपोर्ट 12.5% बढ़कर 1.05 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
भारतीय कॉफी की मांग यूरोप, अमेरिका, रूस और जापान जैसे देशों में तेजी से बढ़ी है।
पीएम मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री ने कहा —
“भारत की कॉफी सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि मेहनत, आत्मनिर्भरता और ‘वोकल फॉर लोकल’ की सच्ची भावना का प्रतीक है।”
उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे भारतीय कॉफी ब्रांड्स को बढ़ावा दें और स्थानीय उत्पादकों की मेहनत को पहचान दें।
भारत की कॉफी अब केवल दक्षिण भारत की पहाड़ियों तक सीमित नहीं रही। यह अब ‘मेक इन इंडिया’ की नई सुगंध बन चुकी है — जो देश के आदिवासी किसानों, उद्यमियों और युवाओं की सफलता की कहानी बयां करती है।
