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दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के शिल्पकार राम सुतार का निधन
नेशनल
100 साल की उम्र में नोएडा में अंतिम सांस लेने वाले राम सुतार ने जीवन में 1150 से अधिक मूर्तियां बनाई; रामलला की मूर्ति बनाने वाले शिल्पकार योगीराज ने साझा कीं यादें
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाने वाले मशहूर मूर्तिकार राम वानजी सुतार का गुरुवार देर रात नोएडा में निधन हो गया। उनकी उम्र 100 वर्ष थी। परिवार के सदस्यों के अनुसार वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
भारतीय कला को समर्पित जीवन
सुतार ने अपने जीवन में 1150 से अधिक मूर्तियां बनाई। उनके कृतित्व में संसद भवन परिसर की गांधी की ध्यान मुद्रा वाली प्रतिमा, दिल्ली में छत्रपति शिवाजी की घोड़े पर सवार प्रतिमा और गोवा में 77 फीट ऊंची श्रीराम की मूर्ति शामिल हैं।
कला के प्रति समर्पण
अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज ने बताया कि 2022 में सुतार से मिलने का अनुभव उनके लिए जीवन का महत्वपूर्ण क्षण था। उन्होंने कहा, “97 वर्ष की उम्र में भी वे रोज स्टूडियो में काम करते थे। उनकी उंगलियों में वही लय थी, जैसी किसी नई मूर्ति को गढ़ते समय होती है।”
सादगी और जमीन से जुड़ी सोच
योगीराज ने आगे बताया कि सुतार की सादगी और उनकी जमीन से जुड़ी सोच उन्हें हर बार प्रेरित करती थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति परियोजना के दौरान उनके काम की सराहना करते हुए सुतार ने कहा था, “पत्थर में इतनी गहराई वाला कपड़े का काम मैंने भारत में पहले नहीं देखा।”
कठोर पत्थर में जीवन भर की रचनाएं
उनके बेटे अनिल सुतार ने बताया कि राम सुतार यथार्थवादी शैली में विश्वभर में प्रसिद्ध थे। वे हर 25 दिन में औसतन एक नई मूर्ति बनाते थे। उनकी पहली मूर्ति 22 वर्ष की उम्र में बनाई गई थी, जो एक बॉडीबिल्डर की थी।
गांधीवादी विचारों से प्रभावित
सुतार गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे। उनकी सबसे प्रिय कृतियों में से एक संसद भवन परिसर की गांधी की ध्यान मुद्रा वाली मूर्ति रही। उनके कार्य में जीवन की वास्तविकता और भावनाओं का सहज चित्रण देखने को मिलता था।
राम सुतार की मृत्यु से भारतीय कला जगत में अपूरणीय क्षति हुई है। उनके अनुयायी और युवा शिल्पकार उनकी कृतियों और प्रेरणादायक जीवन से सदैव प्रेरित रहेंगे। कला और शिल्प की दुनिया में उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
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