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सोनिया गांधी का आरोप: मोदी सरकार मजदूरों की आय नहीं बढ़ने देना चाहती
नेशनल
मनरेगा की जगह नए कानून को बताया “सामूहिक नाकामी”; कहा—योजना खत्म होने से करोड़ों ग्रामीण गरीबों पर पड़ेगा सीधा असर
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त किए जाने पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मनरेगा को खत्म करना ग्रामीण भारत के करोड़ों मजदूरों के साथ अन्याय है और इससे सालभर रोजगार की गारंटी समाप्त हो जाएगी। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार मजदूरों की आय बढ़ने नहीं देना चाहती और इसी उद्देश्य से मनरेगा को कमजोर कर अंततः खत्म किया गया है।
सोनिया गांधी का यह बयान ऐसे समय आया है, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत–रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G-RAM-G बिल को मंजूरी दे दी है। यह नया कानून करीब 20 साल पुराने मनरेगा की जगह लेगा। सरकार का दावा है कि इस कानून के तहत ग्रामीण मजदूरों को 125 दिन काम की गारंटी दी जाएगी। सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे अपने कॉलम “द बुलडोजर डिमॉलिश ऑफ मनरेगा” में इस दावे को भ्रामक बताया है।
अपने लेख में सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा महात्मा गांधी के ‘सर्वोदय’ के विचार और संविधान के अनुच्छेद 41 से प्रेरित था, जो नागरिकों को काम का अधिकार सुनिश्चित करने की बात करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने बिना पर्याप्त चर्चा, सलाह और संसदीय परंपराओं का सम्मान किए बिना इस कानून को “बुलडोजर चलाकर” खत्म कर दिया।
सोनिया गांधी ने नए VB-G-RAM-G कानून को अफसरशाही नियमों पर आधारित ढांचा बताया। उनका कहना है कि पहले मनरेगा में मांग आधारित व्यवस्था थी और बजट की कोई सीमा नहीं थी, जबकि नए कानून में केंद्र सरकार तय करेगी कि कितना काम मिलेगा। इससे राज्यों में रोजगार के दिनों की संख्या सीमित होगी और सालभर रोजगार की गारंटी व्यावहारिक रूप से खत्म हो जाएगी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार रोजगार को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन करने का दावा कर रही है, जबकि खर्च का बड़ा बोझ राज्यों पर डाल दिया गया है। पहले से वित्तीय संकट झेल रहे राज्यों के लिए यह व्यवस्था रोजगार उपलब्ध कराने में बाधा बनेगी। सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले दस वर्षों में बजट में कटौती, तकनीकी अड़चनें और मजदूरी भुगतान में देरी के जरिए मनरेगा को लगातार कमजोर किया गया।
कांग्रेस नेता ने मनरेगा को ग्रामीण गरीबों, विशेषकर भूमिहीन मजदूरों के लिए सौदेबाजी की ताकत बढ़ाने वाला कानून बताया। उनके अनुसार, इस योजना से मजदूरी दरों में सुधार हुआ और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा मिला। नया कानून इस संतुलन को तोड़ देगा।
सोनिया गांधी ने मनरेगा को खत्म करने को संविधान पर हो रहे व्यापक हमलों का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि काम के अधिकार के साथ-साथ सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण कानून को भी कमजोर किया गया है। उन्होंने सभी विपक्षी दलों और नागरिक समाज से इस फैसले के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
VB-G-RAM-G बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के विरोध के बीच पारित किया गया था। अब यह कानून लागू होने के बाद ग्रामीण रोजगार व्यवस्था को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज होने की संभावना है।
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