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जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून को उज्जैन में: इन दो वस्तुओं को जरूर लाएं, घर में बरसेगी लक्ष्मी और अन्नपूर्णा की कृपा
Dharm desk

सनातन संस्कृति का एक महान पर्व, जगन्नाथ रथ यात्रा, इस वर्ष 27 जून 2025 को उज्जैन में श्रद्धा और भक्ति के माहौल में निकाली जाएगी। यह यात्रा दोपहर 2 बजे मंडी चौराहा से आरंभ होकर चामुंडा माता चौराहा, घंटाघर, तीन बत्ती चौराहा होते हुए कालिदास अकादमी स्थित गुंडिचा मंदिर तक पहुँचेगी। यहाँ भगवान का पारंपरिक 'विश्राम उत्सव' सात दिनों तक मनाया जाएगा।
हर वर्ष की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दिव्य स्वरूपों के दर्शन और रथ खींचने के पुण्य लाभ हेतु एकत्र होंगे। धार्मिक मान्यता है कि भगवान का रथ खींचने से जीवन में कष्टों का अंत होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
क्या लाएं साथ? आचार्य की सलाह में छिपा है सौभाग्य का राज
उज्जैन के प्रतिष्ठित आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार, यदि कोई श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होता है तो उसे मंदिर से दो विशेष वस्तुएं अवश्य अपने घर ले जानी चाहिए। इन वस्तुओं को लाने से घर में माँ लक्ष्मी और देवी अन्नपूर्णा की स्थायी कृपा बनी रहती है।
1. बेंत (छड़ी) – लक्ष्मी के स्वागत की प्रतीक
जगन्नाथ यात्रा में बेंत या छड़ी लाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। मान्यता है कि यह छड़ी भगवान की ऊर्जा का प्रतीक है। इसे घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मां लक्ष्मी का वास बना रहता है। पूजा-पाठ या शुभ अवसरों पर इसे छुआकर आशीर्वाद लेने से बुद्धि, बल और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
2. निर्माल्य (सूखा चावल) – अन्न भंडार की सुरक्षा का सूत्र
निर्माल्य विशेष प्रकार का चावल होता है जो भगवान को भोग लगाने के बाद सुखाकर भक्तों को प्रसाद रूप में दिया जाता है। इसे लाल कपड़े की पोटली में घर लाकर साफ स्थान पर रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जिस घर में निर्माल्य होता है, वहाँ कभी अन्न की कमी नहीं होती। शुभ कार्यों में निर्माल्य का एक दाना डालना भी अत्यंत शुभ माना गया है।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर जहां से यह परंपरा चली है, उसे धरती पर वैकुंठ माना गया है। वहाँ से लाई गई कोई भी वस्तु घर में सौभाग्य और सुख-शांति लाती है।
रथ यात्रा का मार्ग और आयोजन विवरण
उज्जैन में रथ यात्रा मंडी चौराहा से आरंभ होकर प्रमुख मार्गों से होती हुई गुंडिचा मंदिर (कालिदास अकादमी) तक पहुंचेगी, जहां भगवान जगन्नाथ सात दिन विश्राम करेंगे। यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं द्वारा भजन-कीर्तन, धार्मिक झांकियाँ और प्रसाद वितरण की व्यवस्था की जाएगी।
प्रशासन ने सुरक्षा के लिए व्यापक इंतज़ाम किए हैं और शहर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए विशेष ट्रैफिक प्लान भी तैयार किया गया है।