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नाग पंचमी पर क्यों नहीं किया जाता लोहे का इस्तेमाल? जानिए धार्मिक और ज्योतिषीय वजह
Dharm desk

हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाने वाली नाग पंचमी हिन्दू धर्म में एक विशेष आध्यात्मिक महत्व रखती है।
इस दिन लोग नाग देवता की पूजा कर उनसे जीवन में सुख, स्वास्थ्य और भयमुक्त जीवन की कामना करते हैं। लेकिन इस पावन अवसर पर कुछ खास परंपराओं का पालन करना आवश्यक माना गया है — जिनमें एक है लोहे से बनी वस्तुओं का प्रयोग न करना।
क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है? चलिए, जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक वजहें।
धार्मिक मान्यता: लोहे से राहु का संबंध
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, तवा, चाकू, कैंची जैसी लोहे की वस्तुएं राहु ग्रह की प्रतीक मानी जाती हैं। राहु को छाया ग्रह कहा गया है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में बाधाएं, रोग और मानसिक अशांति ला सकता है।
नाग पंचमी का दिन नागों और राहु दोनों से जुड़ा होता है, क्योंकि राहु को सांपों का प्रतीक भी माना गया है। ऐसे में इस दिन अगर लोहे का प्रयोग किया जाए, तो यह राहु को कुपित कर सकता है और कालसर्प योग या राहु दोष जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण: शनि और राहु का मेल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लोहा शनि और राहु दोनों ग्रहों से जुड़ा है। जब राहु, शनि के प्रभाव में आता है, तो व्यक्ति को तनाव, असफलता, पारिवारिक कलह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नाग पंचमी जैसे शुभ दिन पर लोहे से दूरी बनाए रखना ऊर्जा शुद्धता और नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए जरूरी माना गया है।
लोक परंपराएं: मिट्टी और तांबे का प्रयोग होता है शुभ
ग्रामीण भारत में आज भी नाग पंचमी पर लोहे के तवे पर रोटी नहीं बनाई जाती, न ही लोहे के चाकू से कटाई-छंटाई होती है। महिलाएं इस दिन मिट्टी, तांबे या पीतल के बर्तनों का ही प्रयोग करती हैं। यह परंपरा आज भी उत्तर भारत, विशेषकर यूपी, एमपी, बिहार और राजस्थान के कई हिस्सों में जीवंत है।
गलती से प्रयोग हो जाए तो क्या करें?
यदि भूलवश कोई लोहे की वस्तु का प्रयोग कर ले, तो घबराने की जरूरत नहीं है। संध्या के समय नाग स्तोत्र या "ॐ नमः नागदेवताय" मंत्र का जाप कर लेना चाहिए और नाग देवता से क्षमा याचना करना चाहिए। यह भावनात्मक समर्पण और पुनः संतुलन के लिए पर्याप्त माना जाता है।