गुरुवार के उपाय: विष्णु और बृहस्पति पूजा से धन, ज्ञान और सौभाग्य में वृद्धि का विश्वास

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आस्था और परंपरा से जुड़े गुरुवार के उपायों को लेकर श्रद्धालुओं में बढ़ी रुचि, क्या करें और किन बातों से बचें

हिंदू धर्म परंपरा में गुरुवार, जिसे बृहस्पतिवार भी कहा जाता है, भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित माना जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धालु इस दिन विशेष पूजा, दान और संयम का पालन करते हैं। मान्यता है कि गुरुवार के उपाय करने से धन-समृद्धि, ज्ञान, वैवाहिक सुख और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। यही कारण है कि हर सप्ताह इस दिन मंदिरों और घरों में विशेष धार्मिक गतिविधियां देखने को मिलती हैं।

धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, धर्म और भाग्य का कारक माना गया है। गुरुवार को सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करने की परंपरा प्रचलित है। श्रद्धालु विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर “ॐ वृं बृहस्पतये नमः” या “ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करते हैं।

गुरुवार के प्रमुख उपायों में हल्दी, चने की दाल और गुड़ का दान शामिल है। कई स्थानों पर आटे, गुड़ और हल्दी से बनी लोई गाय को खिलाने की परंपरा है, जिसे आर्थिक कठिनाइयों से राहत से जोड़ा जाता है। इसके अलावा केले के पेड़ की पूजा कर जल अर्पित करना और दीपक जलाना भी सौभाग्य और दीर्घायु के लिए शुभ माना जाता है।

धार्मिक जानकारों के अनुसार, इस दिन हल्दी या चंदन का तिलक लगाना सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं बाएं हाथ में और पुरुष दाहिने हाथ में पीला धागा बांधते हैं। घर की शुद्धि के लिए स्नान के जल में हल्दी या गंगाजल मिलाकर मुख्य द्वार पर छिड़काव करने की परंपरा भी कई परिवारों में देखी जाती है।

दान-पुण्य को गुरुवार का विशेष अंग माना जाता है। पीले वस्त्र, बेसन, चने की दाल या हल्दी का दान करने से पुण्य लाभ होने की मान्यता है। वहीं, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी इस दिन व्यापक रूप से किया जाता है, जिसे मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल से जोड़ा जाता है।

हालांकि, मान्यताओं के साथ कुछ निषेध भी जुड़े हैं। गुरुवार को हल्दी या पैसे उधार न देने, घर में पोछा न लगाने और किसी का दिल दुखाने से बचने की सलाह दी जाती है। राहुकाल के दौरान नया कार्य शुरू करने से परहेज करने की परंपरा भी प्रचलित है।

धार्मिक विशेषज्ञों का मानना है कि ये उपाय आस्था और अनुशासन से जुड़े हैं। इन्हें जीवनशैली में संयम, सकारात्मक सोच और सामाजिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। आज के दौर में भी गुरुवार के ये उपाय बड़ी संख्या में लोगों के लिए आस्था और विश्वास का विषय बने हुए हैं, जो पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी के रूप में लगातार चर्चा में रहते हैं।

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