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जिस मां ने गहने बेचे, उसी बेटे ने बल्ले से बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड
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बिहार के सकीबुल गनी बने लिस्ट-A में सबसे तेज शतक लगाने वाले भारतीय, डेब्यू रणजी में ठोक चुके हैं तिहरा शतक
बिहार के बल्लेबाज सकीबुल गनी ने विजय हजारे ट्रॉफी 2025-26 में ऐसी पारी खेली, जिसने भारतीय घरेलू क्रिकेट में नया अध्याय जोड़ दिया। अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ खेले गए मुकाबले में गनी ने सिर्फ 32 गेंदों में शतक जड़कर इतिहास रच दिया। यह लिस्ट-A क्रिकेट में किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा लगाया गया सबसे तेज शतक है। इस उपलब्धि के साथ सकीबुल गनी देश के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं, जिनकी चर्चा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।
24 दिसंबर को रांची के जेएससीए ओवल ग्राउंड में खेले गए इस मुकाबले में सकीबुल गनी क्रीज पर आते ही आक्रामक अंदाज में नजर आए। उन्होंने 40 गेंदों में नाबाद 128 रन बनाए, जिसमें 12 छक्के और 10 चौके शामिल रहे। उनकी इस पारी ने ईशान किशन का 33 गेंदों में शतक लगाने का रिकॉर्ड तोड़ दिया। गनी अब ऑस्ट्रेलिया के जेक फ्रेजर-मैकगर्क और दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स के बाद दुनिया के तीसरे सबसे तेज लिस्ट-A शतकवीर बन गए हैं।
26 वर्षीय सकीबुल गनी का जन्म 2 सितंबर 1999 को बिहार के मोतिहारी जिले में हुआ था। वह बिहार की घरेलू टीम के नियमित खिलाड़ी और मौजूदा कप्तान हैं। गनी ने स्थानीय क्रिकेट अकादमी से अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में अंडर-19 स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से राज्य क्रिकेट में अलग पहचान बनाई।
सकीबुल गनी इससे पहले भी सुर्खियों में आ चुके हैं। उन्होंने रणजी ट्रॉफी में अपने डेब्यू मैच में मिजोरम के खिलाफ 341 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली थी। यह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू पर लगाया गया इकलौता तिहरा शतक है। उस पारी में उन्होंने 56 चौके और 2 छक्के लगाए थे। यह रिकॉर्ड आज भी विश्व क्रिकेट में अद्वितीय माना जाता है।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सकीबुल गनी अब तक 28 मैचों में 2035 रन बना चुके हैं, जिसमें 5 शतक और 8 अर्धशतक शामिल हैं। लिस्ट-A क्रिकेट में उन्होंने 33 मैचों में 867 रन बनाए हैं। उनकी बल्लेबाजी की खासियत आक्रामकता के साथ लंबी पारी खेलने की क्षमता मानी जाती है।
सकीबुल गनी का क्रिकेट सफर संघर्षों से भरा रहा है। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। शुरुआती दिनों में उनके पास जूते और बल्ला तक नहीं था। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन मां ने बेटे के सपनों के लिए अपने गहने गिरवी रखकर बल्ला दिलाया। यह वही भरोसा था, जिसने गनी को मैदान पर आत्मविश्वास दिया।
विजय हजारे ट्रॉफी में इस पारी के बाद सकीबुल गनी पर चयनकर्ताओं की नजरें टिकी हैं। घरेलू क्रिकेट में लगातार रिकॉर्ड बना रहे इस बल्लेबाज को भविष्य में इंडिया-ए या सीनियर टीम के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
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