ठंड के मौसम में बढ़ रहा है मूड स्विंग और तनाव, डॉक्टरों ने दी सतर्क रहने की सलाह

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कम धूप, ठंडा मौसम और बदली दिनचर्या बना रही लोगों को मानसिक रूप से असंतुलित, विशेषज्ञ बोले—लापरवाही बढ़ा सकती है डिप्रेशन का खतरा

ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ ही देश के कई हिस्सों में मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और मानसिक तनाव के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और चिकित्सकों के अनुसार, सर्दियों में धूप की कमी, शारीरिक गतिविधियों में गिरावट और दिनचर्या में बदलाव के कारण लोगों की मानसिक सेहत प्रभावित हो रही है। अस्पतालों और काउंसलिंग सेंटरों में तनाव, नींद न आने और उदासी से जुड़ी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।

मनोचिकित्सकों का कहना है कि ठंड के मौसम में शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। सेरोटोनिन मूड को बेहतर रखने में मदद करता है, जबकि मेलाटोनिन नींद से जुड़ा हार्मोन है। दिन छोटे और रातें लंबी होने से इन हार्मोन्स पर असर पड़ता है, जिससे मूड स्विंग और थकान बढ़ती है।

उत्तर भारत, पहाड़ी राज्यों और शहरी क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा देखी जा रही है, जहां ठंड और धुंध के कारण लोग लंबे समय तक घरों में बंद रहते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, नवंबर से फरवरी के बीच तनाव और हल्के डिप्रेशन के मामले तेजी से बढ़ते हैं। युवाओं के साथ-साथ कामकाजी वर्ग और बुजुर्ग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दियों में व्यायाम कम हो जाता है, सामाजिक मेलजोल घटता है और खानपान में असंतुलन आ जाता है। इसके अलावा काम का दबाव, साल के अंत की डेडलाइन और कम धूप भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। कई मामलों में यह स्थिति सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) का रूप ले लेती है।

मरीजों में चिड़चिड़ापन, बिना वजह उदासी, नींद में गड़बड़ी, एकाग्रता की कमी और थकान जैसे लक्षण आम हैं। कुछ लोग जरूरत से ज्यादा खाने या बिल्कुल न खाने की शिकायत भी लेकर पहुंच रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इन लक्षणों को नजरअंदाज करना आगे चलकर गंभीर समस्या बन सकता है।

डॉक्टरों का सुझाव है कि रोजाना धूप में कुछ समय बिताएं, हल्की एक्सरसाइज को दिनचर्या में शामिल करें और संतुलित आहार लें। योग, ध्यान और पर्याप्त नींद तनाव कम करने में सहायक हो सकती है। यदि लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो काउंसलर या मनोचिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर सावधानी और जागरूकता से सर्दियों में बढ़ रहे मानसिक तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है। सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों से भी मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान तेज करने की मांग की जा रही है, ताकि लोग समय रहते मदद ले सकें।

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