भूखण्ड की बनावट से तय होती है उन्नति या अवनति, जानिए कौन-सी आकृति शुभ मानी जाती है

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घर या प्लॉट खरीदने से पहले केवल लोकेशन नहीं, उसका आकार भी तय करता है सुख-समृद्धि; वास्तु शास्त्र में बताए गए भूखण्डों के शुभ-अशुभ प्रभाव

घर या प्लॉट खरीदना केवल निवेश नहीं, बल्कि भविष्य से जुड़ा फैसला होता है। आमतौर पर लोग सड़क, बाजार और कीमत पर ध्यान देते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार भूखण्ड का आकार और आकृति भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि असंतुलित या विकृत आकार वाला प्लॉट व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, आर्थिक बाधा और पारिवारिक अशांति का कारण बन सकता है, जबकि संतुलित और अनुकूल आकृति वाला भूखण्ड स्थिरता और प्रगति को बढ़ावा देता है।

वास्तु शास्त्र में कई प्रकार के भूखण्डों का उल्लेख मिलता है। कुछ आकृतियां निवास के लिए शुभ मानी गई हैं, जबकि कुछ को पूरी तरह त्याज्य बताया गया है। उदाहरण के तौर पर, धनुष के समान मुड़ा हुआ भूखण्ड वास्तु दृष्टि से अनुकूल नहीं माना जाता। ऐसी भूमि पर रहने से विवाद, विरोध और अनावश्यक भय की स्थिति बन सकती है। इसी तरह आधे चंद्रमा जैसी आकृति वाला भूखण्ड सुरक्षा के लिहाज से कमजोर माना जाता है, जहां चोरी या अस्थिरता की आशंका बनी रहती है।

जो भूखण्ड किसी एक ओर से टेढ़ा, कटा या असमान हो, उसे वास्तु में विषम बाहु श्रेणी में रखा जाता है। इस तरह की भूमि पर बने मकान में रहने से परिवार के सदस्यों में बेचैनी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और आर्थिक दबाव देखने को मिल सकता है। इसके उलट, समान कोणों और संतुलित किनारों वाला चतुष्कोणाकार भूखण्ड वास्तु के अनुसार शुभ परिणाम देने वाला माना गया है। इस प्रकार की भूमि पर बने घर में स्थायित्व और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

कुछ विशेष आकृतियां ऐसी भी हैं जिनके बारे में वास्तु शास्त्र स्पष्ट चेतावनी देता है। अंडे जैसी लंबी-गोल आकृति वाला अण्डाकार भूखण्ड संतुलन के अभाव में अशुभ माना गया है। वहीं आगे से संकरा और पीछे से चौड़ा भूखण्ड, जिसे काकमुखाकार कहा जाता है, समृद्धि और सुविधा देने वाला माना गया है। ऐसी भूमि पर रहने से आर्थिक स्थिति मजबूत होने की मान्यता है।

घड़े या कलश के आधे आकार जैसी बनावट वाला कुम्भाकार भूखण्ड भी वास्तु के अनुसार अनुकूल नहीं माना जाता। यहां निवास करने पर रोग, तनाव और जीवन में अवरोध आने की आशंका जताई जाती है। इसके अलावा, चिमटे के समान संकरे-चौड़े फैलाव वाला चिमटाकार भूखण्ड और एक ओर गोल तथा दूसरी ओर लंबा मूसलाकार भूखण्ड भी अशुभ की श्रेणी में रखे गए हैं।

वास्तु जानकारों का कहना है कि आधुनिक जीवन में हर समस्या का समाधान केवल वास्तु नहीं है, लेकिन भूखण्ड का सही चयन जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकता है। 

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