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पोलैंड में गूंजा भारत का परचम: पैरा केनो विश्व कप में यश कुमार ने दिलाया कांस्य, पूरी टीम बनी प्रेरणा की मिसाल
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भारत की पैरा केनो टीम ने पोलैंड के पॉज़नान में आयोजित इंटरनेशनल कैनो फेडरेशन (ICF) विश्व कप में दमदार प्रदर्शन कर देश का मान बढ़ाया। जहां एक ओर ठंडी हवाओं और बारिश ने खिलाड़ियों के लिए चुनौती खड़ी की, वहीं दूसरी ओर यश कुमार ने कांस्य पदक जीतकर भारत के झंडे को गर्व से ऊंचा किया।
यह प्रतियोगिता भले ही ओलंपिक क्वालिफिकेशन से सीधे जुड़ी न हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की उपस्थिति और प्रतिस्पर्धात्मक ताकत को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है।
संघर्ष के बीच चमका टीम इंडिया का हौसला
भारत की टीम ने केवल पदक नहीं जीता, बल्कि पूरी दुनिया को यह दिखा दिया कि भारतीय पैरा एथलीट किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटते। भारत की ओर से इस अभियान को भारतीय कायकिंग और कैनोइंग संघ (IKCA) का भरपूर समर्थन मिला, जिसमें अध्यक्ष प्रशांत कुशवाहा और पैरा केनो चेयरपर्सन मयंक ठाकुर की अहम भूमिका रही।
टीम में शामिल खिलाड़ियों में थे –
प्राची यादव, पूजा ओझा, संगीता राजपूत, मनीष कौरव, यश कुमार और अमित कुमार।
उनके साथ-साथ पूरी कोचिंग और मेडिकल टीम ने खिलाड़ियों को मानसिक, शारीरिक और तकनीकी रूप से तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कोच: अनिल राठी, मिस ननोय और रिंकू सिंह
फिजियोथेरेपिस्ट: डॉ. आशीष धनायक और डॉ. ईशा जोशी – जिन्होंने कठिन मौसम में खिलाड़ियों को फिट और तैयार रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
13 डिग्री की सर्दी में जज़्बे की गर्मी
भारत से 40 डिग्री की चिलचिलाती गर्मी छोड़कर पॉज़नान की 13-15 डिग्री सेल्सियस की बारिश और सर्द हवाओं में खेलना आसान नहीं था। परंतु भारतीय दल ने मौसम की परवाह किए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ देने का जज़्बा दिखाया। यह उपलब्धि दर्शाती है कि जब टीम भावना, कड़ी मेहनत और समर्पण एक साथ हों, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।
यश कुमार की कांस्य विजय: पहला विश्व स्तर पदक
इस प्रतियोगिता में भारत को सबसे बड़ी उपलब्धि दिलाई यश कुमार ने, जिन्होंने अपने जीवन का पहला अंतरराष्ट्रीय कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इससे पहले वह एशियाई स्तर पर कई बार देश को गौरवान्वित कर चुके हैं, लेकिन यह जीत उनके करियर की विशेष उपलब्धि है।
प्राची यादव से भी उम्मीदें बरकरार
भारत की दिग्गज पैरा एथलीट प्राची यादव पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। वह पहले भी इसी प्रतियोगिता में पदक जीत चुकी हैं और इस बार भी उनका प्रदर्शन देश के लिए गौरव का विषय बन सकता है।
टीम से आगे बढ़कर बनी प्रेरणा
यह टीम सिर्फ एक खेल टीम नहीं, बल्कि प्रेरणा का प्रतीक है – संघर्ष, समर्पण और सेवा भावना का उदाहरण। हर पैडल स्ट्रोक, हर प्रयास एक संदेश देता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अगर जज़्बा मजबूत हो, तो सफलता निश्चित है।