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ललित उपाध्याय ने इंटरनेशनल हॉकी से लिया संन्यास, बोले- यह कठिन पल है; देश के लिए खेलना सबसे बड़ा सम्मान
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दो बार ओलंपिक पदक विजेता और अर्जुन अवार्डी हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय ने 22 जून को अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास की घोषणा कर दी।
उन्होंने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक पोस्ट के जरिए साझा की। ललित ने लिखा,
"यह एक कठिन फैसला है, लेकिन हर खिलाड़ी को कभी न कभी इसका सामना करना पड़ता है। देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा गौरव रहा है। मैं सभी प्रशंसकों और समर्थकों का दिल से धन्यवाद देता हूं।"
टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में दिलाया ब्रॉन्ज, बना वाराणसी का गौरव
वाराणसी के रहने वाले ललित उपाध्याय भारतीय हॉकी टीम के प्रमुख फॉरवर्ड खिलाड़ियों में शामिल रहे हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 और पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए 2021 में उन्हें अर्जुन अवार्ड और यूपी सरकार की ओर से 1 करोड़ रुपए नकद पुरस्कार भी मिला।
घरेलू और लीग मैचों में खेलना जारी रखेंगे
ललित ने इंटरनेशनल हॉकी से संन्यास लिया है, लेकिन वह घरेलू टूर्नामेंट और लीग मैचों में सक्रिय रहेंगे। वर्तमान में वह बेल्जियम में चल रही प्रो हॉकी लीग का हिस्सा हैं।
संघर्षों से भरा सफर, गांव से ओलंपिक पोडियम तक का सफर
ललित का सफर एक छोटे से गांव भगतपुर (वाराणसी) से शुरू हुआ। शुरुआती कोच परमानंद मिश्र ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और निखारा। उन्होंने 8 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया और 210 से अधिक इंटरनेशनल मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया।
2008 में हुए स्टिंग ऑपरेशन कांड से ललित बुरी तरह प्रभावित हुए। एक चैनल द्वारा उन्हें बिना किसी गलती के घोटाले में घसीट लिया गया था। इस घटना ने उनके करियर को संकट में डाल दिया था, लेकिन उन्होंने फिर से वापसी की और दुनिया को अपनी प्रतिभा से परिचित कराया।
DSP बनने से लेकर फ्री हॉकी ट्रेनिंग तक
ललित वर्तमान में यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी हैं। उन्हें पहले OSD का पद ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने पुलिस यूनिफॉर्म और प्रमोशन की कमी के चलते DSP पद को प्राथमिकता दी।
वह अपने होम टाउन में बच्चों को फ्री हॉकी ट्रेनिंग भी देते हैं, ताकि भविष्य में और खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर सकें।
परिवार और निजी जीवन
ललित के पिता सतीश उपाध्याय, मां रीता उपाध्याय हैं। उनके भाई अमित प्रयागराज में AAO हैं और बहन अभी पढ़ाई कर रही है। 2023 में ललित ने दीक्षा तिवारी से शादी की, जो रेलवे में अधिकारी हैं।
"गांव से ओलंपिक तक" – खुद बोले ललित
"मेरी यात्रा एक छोटे से गांव से शुरू हुई, जहां संसाधन सीमित लेकिन सपने असीम थे। एक समय हॉकी छोड़ने का मन था, लेकिन ओलंपिक पोडियम पर खड़े होने का सपना मुझे आगे ले गया। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने अपने शहर और देश का नाम रोशन किया।"