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"मोर गांव मोर पानी" पुस्तिका का मुख्यमंत्री साय ने किया विमोचन, कहा– जनभागीदारी से जल संरक्षण बना जनांदोलन
Raipur, CG
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छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण को लेकर चल रहे ‘मोर गांव मोर पानी’ महाअभियान को एक नई पहचान मिली है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंगलवार को विधानसभा परिसर स्थित अपने कक्ष में इस अभियान पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया।
इस मौके पर उन्होंने ग्राम पंचायतों की भूमिका और जनभागीदारी की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास अब जनांदोलन का रूप ले चुका है।
विमोचन कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, पंचायत विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारीक, मनरेगा आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
ग्राम पंचायतों की सक्रियता से जागरूक हुआ समाज
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “जल संरक्षण जैसे विषय को गांव-गांव तक ले जाने का जो कार्य इस अभियान ने किया है, वह अनुकरणीय है। लोगों की स्वप्रेरित सहभागिता और पंचायतों की सक्रिय भागीदारी के कारण समाज में सकारात्मक चेतना आई है।”
उन्होंने बताया कि पुस्तिका में राज्य की कई पंचायतों के नवाचारों, कार्यों और सफलता की कहानियों को स्थान दिया गया है, जो अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।
जन-जागरूकता के लिए विशेष IEC गतिविधियां
मुख्यमंत्री ने बताया कि सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाया गया है। प्रदेश की 11,000 से अधिक ग्राम पंचायत भवनों की दीवारों पर भूजल स्तर अंकित किया गया है। इससे आम नागरिकों में जल के प्रति व्यावहारिक समझ और जिम्मेदारी आई है।
तकनीक और नवाचार का समावेश
अभियान में आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया गया है। GIS तकनीक के माध्यम से जल संरक्षण के कार्यों की योजना बनाई जा रही है, जबकि जलदूत ऐप के माध्यम से खुले कुओं का जल स्तर नियमित रूप से मापा जा रहा है।
इसके अलावा परकोलेशन टैंक, अर्दन डैम, डिफंक्ट बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर जैसे संरचनात्मक उपायों के जरिए स्थायी जल संरक्षण सुनिश्चित किया जा रहा है।
प्रशिक्षण और संकल्प की मिसाल
‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान के तहत 626 क्लस्टर्स में प्रशिक्षण आयोजित किए गए, जिनमें 56,000 से अधिक प्रतिभागियों को जल प्रबंधन की ट्रेनिंग दी गई। रैली, दीवार लेखन, स्थानीय भागीदारी जैसे माध्यमों से यह अभियान आमजन तक पहुंचा है।
मुख्यमंत्री साय ने विश्वास जताया कि ये प्रयास छत्तीसगढ़ को जल संरक्षण के राष्ट्रीय मॉडल के रूप में स्थापित करेंगे।