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शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई: विजय भाटिया दिल्ली से गिरफ्तार, दुर्ग में छह ठिकानों पर ACB-EOW की छापेमारी
Raipur, CG

छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच एक बार फिर तेजी पकड़ती नजर आ रही है। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की संयुक्त टीम ने शराब कारोबारी विजय भाटिया को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। लंबे समय से फरार चल रहे भाटिया को रायपुर लाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में उसके छह से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार तड़के EOW-ACB की सात सदस्यीय टीम ने भिलाई के नेहरू नगर स्थित भाटिया के निवास पर दबिश दी। टीम ने घर के भीतर मौजूद सदस्यों से पूछताछ की, जबकि नौकरों को काम करने की अनुमति देने के साथ उनसे भी जानकारी ली गई। कार्रवाई के दौरान महिला पुलिस की मौजूदगी भी रही। यह वही ठिकाना है, जहां करीब दो वर्ष पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी छापेमारी की थी, जिसके बाद से विजय भाटिया अज्ञातवास में था।
12 दिन पहले हुई थी 39 स्थानों पर छापेमारी
EOW-ACB की यह कार्रवाई ऐसे समय में हो रही है जब महज 12 दिन पहले राज्य के विभिन्न जिलों—दुर्ग, भिलाई, धमतरी और महासमुंद—में 39 स्थानों पर छापेमारी की गई थी। उस दौरान करीब 90 लाख रुपये नगद, सोना-चांदी और कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ जब्त किए गए थे।
भिलाई के आम्रपाली अपार्टमेंट, नेहरू नगर और खुर्सीपार क्षेत्र में अशोक अग्रवाल, बंसी अग्रवाल, विशाल केजरीवाल और विनय अग्रवाल जैसे प्रमुख नामों के ठिकानों पर भी दस्तावेजों की जांच की गई थी।
क्या है शराब घोटाला?
ED द्वारा दर्ज FIR के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में आबकारी विभाग के जरिए एक संगठित सिंडिकेट द्वारा शराब दुकानों के माध्यम से हजारों करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। इस सिंडिकेट में प्रमुख भूमिका तत्कालीन IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी निगम के तत्कालीन MD ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर की बताई गई है।
घोटाले की कुल राशि 2,100 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है। ED ने आरोप लगाया है कि शराब की खरीद-बिक्री में डिस्टिलर्स से कमीशन वसूला गया, अवैध कच्ची शराब का कारोबार किया गया और FL-10A लाइसेंस के जरिए विदेशी शराब कारोबार में भी भारी अनियमितताएं की गईं।
FL-10A लाइसेंस क्या है?
FL-10A लाइसेंस के तहत कंपनियों को भारत के किसी भी राज्य से निर्मित विदेशी शराब खरीदने और उसे राज्य सरकार को सप्लाई करने का अधिकार दिया गया। यह लाइसेंस भंडारण और परिवहन की अनुमति भी देता था, लेकिन इसके बावजूद अधिकांश कार्य सीधे छत्तीसगढ़ बेवरेज कॉर्पोरेशन को सौंपे गए, जिससे नियामकीय पारदर्शिता प्रभावित हुई।
लखमा पर गंभीर आरोप
ईडी की रिपोर्ट में पूर्व आबकारी मंत्री और वर्तमान विधायक कवासी लखमा पर भी संगीन आरोप लगे हैं। आरोप है कि लखमा पूरे सिंडिकेट के संरक्षक की भूमिका में थे। उन्हें हर महीने दो करोड़ रुपये बतौर कमीशन दिए जाते थे, जो उनके बेटे हरीश कवासी के घर और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में खर्च किए गए।