- Hindi News
- राज्य
- छत्तीसगढ़
- बिलासपुर एयरपोर्ट पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: बोले- कह दीजिए सरकार कुछ नहीं कर पाएगी
बिलासपुर एयरपोर्ट पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: बोले- कह दीजिए सरकार कुछ नहीं कर पाएगी
Bilaspur, CG

बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट, बिलासपुर के विस्तार और नाइट लैंडिंग की सुविधा को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों की उदासीनता पर कड़ी नाराजगी जताई है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा ने तीखा सवाल किया – “बोल दीजिए कि सरकार कुछ नहीं कर पाएगी, हम पीआईएल खत्म कर देते हैं।" उन्होंने कहा कि जब दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार है, फिर भी अगर काम नहीं हो रहा तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
हाईकोर्ट ने मांगा मुख्य सचिव और रक्षा सचिव से शपथ-पत्र
हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट विस्तार में हो रही देरी को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और रक्षा मंत्रालय के सचिव से शपथ-पत्र सहित विस्तृत जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा कि जब 2023 में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी और 90 करोड़ रुपये मुआवजा भी रक्षा मंत्रालय को दे दिया गया, तो अब तक रनवे विस्तार का कार्य क्यों लंबित है?
तस्वीरों पर भड़के मुख्य न्यायाधीश, बोले – इसमें कौन सा काम दिख रहा है?
राज्य सरकार की ओर से कुछ तस्वीरें पेश की गईं, जिनमें एयरपोर्ट पर चल रहे कार्यों का दावा किया गया। लेकिन तस्वीरों में एक गाड़ी और कुछ लोग खड़े होने के अलावा कुछ नजर नहीं आया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने तल्ख लहजे में कहा, “कहां है काम? हमें भी दिखाईए, ये तो सिर्फ खानापूर्ति लग रही है।”
रक्षा मंत्रालय जमीन के बदले बढ़ी राशि मांग रहा: राज्य सरकार
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि रनवे विस्तार के लिए 286 एकड़ ज़मीन रक्षा मंत्रालय से ली जानी है, लेकिन रक्षा मंत्रालय बदले में अतिरिक्त मुआवजा राशि मांग रहा है। सरकार की मंशा है कि पहले जमीन उसके नाम हो, तभी निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
नाइट लैंडिंग और सीधी उड़ानों की सुविधा आज भी अधूरी
बिलासा देवी एयरपोर्ट को 3C से 4C श्रेणी में अपग्रेड करने, नाइट लैंडिंग और महानगरों के लिए सीधी उड़ानों जैसी सुविधाओं को लेकर हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं लंबित हैं। एयरपोर्ट शुरू हुए चार साल हो चुके हैं, लेकिन ज़मीन हस्तांतरण, निर्माण कार्य और टेक्निकल संसाधनों की अनिश्चितता के चलते यात्रियों को अब तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकीं।