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नागेश्वर मंदिर: तीन दशकों की शिवभक्ति में सेवा और स्मृति का अद्भुत संगम
✍️ देवेंद्र पटेल, दतिया, मप्र l

श्रावण मास का प्रत्येक दिन अपने आप में पवित्र होता है, परंतु 26 जुलाई 2025 का दिन श्री नागेश्वर महादेव मंदिर (दतिया) के इतिहास में एक विशेष अध्याय बनकर दर्ज हो गया।
यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि श्रद्धा, स्मृति और सेवा भावना का ऐसा मिलन था, जिसने सभी श्रद्धालुओं के हृदय को भावविभोर कर दिया।
इस दिन मंदिर परिसर एक बार फिर डॉ. गोविंद सिंह की पावन उपस्थिति से आलोकित हुआ। यह वही व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने 22 अक्टूबर 2001 को इस मंदिर परिसर में विश्रांति गृह का शिलान्यास कर इस सेवा यात्रा का श्रीगणेश किया था, और 7 अक्टूबर 2002 को उसका लोकार्पण भी संपन्न किया। वर्षों पूर्व जिनके कर-कमलों से सेवा के बीज बोए गए थे, आज वही हाथ रुद्राभिषेक की पवित्र जलधारा के माध्यम से भगवान नागेश्वर महादेव की आराधना कर रहे थे।
यह दृश्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं था — यह क्षण जैसे समय का चक्र पूर्ण कर रहा था। एक ओर शिवलिंग पर गिरती जलधारा, और दूसरी ओर वर्षों पुरानी सेवाओं की स्मृतियाँ — दोनों ने मिलकर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
श्रद्धालुओं ने इसे केवल एक "रुद्राभिषेक" नहीं माना, बल्कि इसे माना सेवा की पुनःप्रवृत्ति, आस्था की पुनःपुष्टि और भक्ति की पुनःप्रतिष्ठा।
मंदिर परिसर में उपस्थित हर व्यक्ति ने महसूस किया कि यह कोई साधारण दिन नहीं, बल्कि उस पुण्य कार्य का पुनर्स्मरण था, जो वर्षों पूर्व डॉ. गोविंद सिंह के हाथों से आरंभ हुआ था। यह एक सजीव उदाहरण था कि जब सेवा और भक्ति एक साथ चलती हैं, तो समय भी नतमस्तक हो जाता है।
वास्तव में, 26 जुलाई 2025 को श्री नागेश्वर महादेव मंदिर में घटित यह दिव्य आयोजन न केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा, बल्कि श्रद्धालुओं के हृदय में एक अमिट स्मृति बनकर सदा जीवित रहेगा।
मंदिर स्थापना से सेवा यात्रा तक
श्रद्धा और शिवभक्ति की मिसाल बना श्री नागेश्वर महादेव मंदिर न केवल एक पूजास्थल है, बल्कि जनमानस की आस्था और सेवा भाव का अद्भुत उदाहरण भी है।
इस दिव्य धाम की स्थापना 26 फरवरी 1992 को श्रीमती गीता सोनी एवं डॉ. मोहनलाल सोनी के शुभ प्रयासों से सम्पन्न हुई। भोलेनाथ की कृपा से यह स्थान भक्तों के लिए शिव-साक्षात्कार का केंद्र बन गया।
विश्रांति गृह: सेवा का संकल्प
मंदिर की स्थापना के पश्चात, श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु एक विश्रांति गृह के निर्माण का संकल्प लिया गया। यह स्वप्न साकार हुआ 22 अक्टूबर 2001 को, जब तत्कालीन सहकारिता मंत्री माननीय डॉ. गोविंद सिंह ने इसका शिलान्यास किया।
संकल्प से सिद्धि की यह यात्रा केवल एक वर्ष में पूरी हुई और 7 अक्टूबर 2002 को उसी महामानव डॉ. गोविंद सिंह के करकमलों से इस विश्रामालय का लोकार्पण सम्पन्न हुआ।
निरंतर रुद्राभिषेक: श्रद्धा की अनवरत धारा
भगवान नागेश्वर महादेव की प्रेरणा से इस मंदिर में प्रत्येक दिवस विधिपूर्वक रुद्राभिषेक किया जाता है।
यह परंपरा केवल एक पूजा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक धारा है — जो आस्था, अनुशासन और ऊर्जा से ओतप्रोत है।
श्रावण मास की विशेष साधना: पार्थिव शिवलिंग निर्माण और रुद्राभिषेक
विगत 6 वर्षों से सावन मास में यहां पार्थिव शिवलिंग निर्माण तथा सामूहिक रुद्राभिषेक का दिव्य आयोजन पीतांबरा पुरी (दतिया) के श्रद्धालु नागरिकों के सहयोग से अनवरत रूप से किया जा रहा है।
यह आयोजन शिवभक्ति, एकता और समर्पण की त्रिवेणी बनकर जनमानस को जोड़ता है।
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