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मेट्रिमोनियल ठगी का बड़ा खुलासा: ग्वालियर से चला फर्जी कॉल सेंटर, 5 राज्यों के 1500 से ज्यादा लोग शिकार
ग्वालियर (म.प्र.)
शादी का भरोसा, फोटो और मीठी बातें… फिर क्यूआर कोड से वसूली; पीड़ित बोला– “पैसे चले गए, बस भाई की शादी हो जाए”
ग्वालियर में फर्जी मेट्रिमोनियल कॉल सेंटर का भंडाफोड़ होने के बाद ठगी का ऐसा चेहरा सामने आया है, जिसने पुलिस को भी चौंका दिया। क्राइम ब्रांच की जांच में खुलासा हुआ है कि इस नेटवर्क ने मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों के 1500 से अधिक लोगों को शादी का झांसा देकर ठगा। ठगी की अनुमानित रकम डेढ़ से दो करोड़ रुपए के बीच आंकी जा रही है। इस मामले में दो महिला संचालकों सहित 20 युवतियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि मुख्य आरोपी तिलेश्वर उर्फ दिनेश पटेल अब भी फरार है।
यह कार्रवाई ग्वालियर के थाना थाटीपुर क्षेत्र अंतर्गत मयूर नगर और ज्योतिनगर इलाके में की गई। यहां मकानों और फ्लैट्स में दो कॉल सेंटर संचालित हो रहे थे। पुलिस ने पाया कि एक ही कमरे में बैठकर युवतियां फर्जी नाम और पहचान के सहारे लोगों को फोन करती थीं और खुद को मेट्रिमोनियल प्रोफाइल की लड़की बताकर बातचीत करती थीं।
कार्रवाई के बाद एक भावुक कर देने वाला मामला तब सामने आया, जब पकड़ी गई कॉलर के मोबाइल पर लगातार कॉल आने लगी। क्राइम ब्रांच के टीआई ने फोन उठाया तो सामने से युवक बोला—“मेरी टीना से बात कराओ, मैंने पैसे भी जमा कर दिए हैं, अब फोन क्यों नहीं उठा रही?” जब उसे बताया गया कि ‘टीना’ नाम की कोई लड़की नहीं, बल्कि कॉल सेंटर की कॉलर है और वह ठगी का शिकार हो चुका है, तो युवक स्तब्ध रह गया। उसने बताया कि अब तक 17 हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर चुका है।
पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह मेट्रिमोनियल वेबसाइट और मैसेज के जरिए लोगों से संपर्क करता था। पहले रजिस्ट्रेशन शुल्क, फिर प्रोफाइल एक्टिवेशन, वीडियो कॉल और रिश्ते आगे बढ़ाने के नाम पर अलग-अलग रकम वसूली जाती थी। भरोसा बढ़ाने के लिए आकर्षक महिलाओं की तस्वीरें भेजी जाती थीं। जैसे ही पीड़ित पूरी तरह जाल में फंस जाता, क्यूआर कोड के जरिए पैसे ट्रांसफर करा लिए जाते और बाद में मोबाइल नंबर बंद कर दिए जाते थे।
एक अन्य पीड़ित महाराष्ट्र का युवक निकला, जिसने पुलिस को बताया कि वह अपने भाई की शादी के लिए अब तक 31-32 हजार रुपए दे चुका है। जब उसे ठगी की सच्चाई बताई गई तो उसने कहा—“पैसे चले गए तो कोई बात नहीं साहब, बस मेरे भाई की शादी हो जाए।” उसकी बात सुनकर पुलिस अधिकारी भी भावुक हो गए।
जांच में यह भी सामने आया है कि कॉल सेंटर में काम करने वाली युवतियों को जानबूझकर की-पैड मोबाइल दिए जाते थे, ताकि उनकी लोकेशन और पहचान ट्रेस न हो सके। सभी सिम कार्ड और फोन मास्टरमाइंड के नाम पर रजिस्टर्ड थे, जिससे पूरे नेटवर्क की कमान उसी के हाथ में थी।
फिलहाल क्राइम ब्रांच फरार मास्टरमाइंड की तलाश में दबिश दे रही है। बैंक खातों, डिजिटल ट्रांजेक्शन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच जारी है। पुलिस का कहना है कि आने वाले दिनों में पीड़ितों की संख्या और ठगी की रकम दोनों बढ़ सकती हैं। यह साइबर और सामाजिक अपराध की एक गंभीर पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी बनकर उभरा है।
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