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सड़क नहीं होने पर BMO ने एम्बुलेंस भेजने से किया इनकार: सतना में किशोर की कुएं में डूबकर मौत, ग्रामीणों ने चारपाई पर शव ढोया
Satna, MP
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मध्य प्रदेश के सतना जिले में बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने एक बार फिर प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया। ग्राम पंचायत पुरवा के उसरहाई टोला गांव में रहने वाले कोल आदिवासी समुदाय के 15 वर्षीय आशिकी कोल की पुराने कुएं में डूबने से मौत हो गई।
इस दर्दनाक हादसे के बाद न तो एम्बुलेंस पहुंच सकी और न ही कोई सरकारी वाहन। मजबूर ग्रामीणों ने शव को चारपाई पर रखकर कीचड़ भरे रास्ते से 800 मीटर तक खुद ही ढोया।
घटना बुधवार दोपहर की है, जब मृतक के परिजन खेत से लौटे तो वह घर पर नहीं मिला। तलाश के दौरान कुएं के पास उसका मोबाइल पड़ा मिला, जिससे अनहोनी की आशंका हुई। ग्रामीणों ने तुरंत मिलकर कुएं में कांटे की मदद से खोजबीन शुरू की और हुक किशोर के पैर में फंसते ही उसका शव बाहर निकाला गया।
प्रशासन ने दिखाई बेरुखी, BMO का जवाब चौंकाने वाला
घटना की सूचना जब स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और कोठी थाना पुलिस को दी गई, तो पुलिस तो मौके पर पैदल चलकर पहुंच गई, लेकिन BMO (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) ने एम्बुलेंस भेजने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि "वहां सड़क नहीं है, हम नहीं आ सकते।" ऐसे में ग्रामीणों को ही शव को चारपाई पर रखकर कीचड़ भरे रास्ते से पोस्टमार्टम के लिए ले जाना पड़ा।
प्रतिमा बागरी की विधानसभा में बदहाल हालात
यह गांव नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी की विधानसभा क्षेत्र रैगांव में आता है। विडंबना यह है कि यहां आज भी सड़क, बिजली और साफ पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। बरसात के दिनों में यह इलाका पूरी तरह कट जाता है और गांव टापू जैसा बन जाता है।
पहले भी हुईं मौतें, नहीं जागा सिस्टम
यह पहली घटना नहीं है जब सुविधाओं के अभाव में जान गई हो। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले वर्ष भी एक गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका था और उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। इसके बावजूद शासन-प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की गई।
जांच में जुटी पुलिस
कोठी थाना पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हर बार ऐसी मौतों के बाद भी व्यवस्था सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगी?