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सुनियोजित खेल या सिस्टम की साजिश? धार में शराब तस्करी का मामला, आबकारी विभाग पर रिश्वत लेकर आरोपी को छोड़ने के आरोप
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मध्य प्रदेश के धार जिले में अवैध शराब के कारोबार पर कार्रवाई करने वाले आबकारी विभाग को अब गंभीर सवालों का सामना करना पड़ रहा है।
17 अप्रैल को बीयर से भरी एक कार को पकड़ा गया था, जिसमें दो कुख्यात शराब तस्कर, उमेश चौधरी और दीपक चौधरी मौजूद थे। कार से 50 पेटी बीयर बरामद की गई थी, और दोनों आरोपियों का वीडियो सामने आया था। लेकिन कार्रवाई सिर्फ उमेश चौधरी के खिलाफ की गई, जबकि दीपक चौधरी को छोड़ दिया गया।
वीडियो फुटेज में दोनों आरोपियों की मौजूदगी, लेकिन FIR में केवल एक का नाम
मौके पर लिए गए वीडियो में दोनों आरोपियों की मौजूदगी साफ दिखाई देती है, लेकिन जब आबकारी विभाग ने FIR दर्ज की, तो उसमें केवल उमेश चौधरी का नाम था। दीपक चौधरी का नाम गायब था। जब यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो विभाग ने आनन-फानन में दीपक चौधरी का नाम केस में जोड़ लिया, लेकिन अब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है।
क्या रिश्वत लेकर दीपक को छोड़ा गया?
सूत्रों के अनुसार, दीपक चौधरी को छोड़ने के बदले विभाग को मोटी रकम दी गई थी। जब मीडिया ने आबकारी अधिकारी राज नारायण सोनी से इस मामले पर सवाल किए, तो पहले उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है, लेकिन बाद में उन्होंने दावा किया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।
दीपक चौधरी की गिरफ्तारी पर सवाल
मामले में विभाग द्वारा जारी की गई आधिकारिक फोटो में दीपक चौधरी का फोटो गायब था। जब यह बात उजागर हुई, तो उसका नाम केस में जोड़ा गया, लेकिन गिरफ्तारी अब भी नहीं हो सकी है। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि अगर उसे मौके से पकड़ा गया था, तो वह फरार कैसे हो गया?
आखिरकार, क्या यह सुनियोजित साजिश है?
पूरे घटनाक्रम से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह एक सुनियोजित साजिश है? क्या विभाग की मिलीभगत से बड़े शराब तस्करों को बचाया जा रहा है? अगर ऐसा है तो यह न केवल विभाग की कार्यशैली की नाकामी बल्कि भ्रष्टाचार का भी संकेत देता है।
इस घटना ने विभाग की साख को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं और यह मामला यह दिखाता है कि किस प्रकार अवैध कारोबारियों को संरक्षण दिया जा रहा है। अब देखना यह है कि विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और आरोपियों की गिरफ्तारी कब होती है।