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बीमार बुजुर्ग को चादर में लपेट बस स्टैंड छोड़ने पहुंचे कर्मचारी, लोगों ने जताया आक्रोश
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जिला अस्पताल में एक संवेदनहीन दृश्य ने सभी को स्तब्ध कर दिया, जब गुरुवार रात दो आउटसोर्स कर्मचारी एक बीमार बुजुर्ग को चादर में लपेटकर बस स्टैंड छोड़ने पहुंचे। जब आसपास मौजूद लोगों ने विरोध किया और कलेक्टर से शिकायत की चेतावनी दी, तब जाकर दोनों कर्मचारी बुजुर्ग को पुनः ऑटो में लिटाकर अस्पताल वापस ले गए।
यह शर्मनाक घटना अब सामने आई है, जिसमें अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था और कर्मचारियों की मानवीय संवेदना पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बुजुर्ग की हालत खराब थी और वह चलने-फिरने में असमर्थ था।
"जो अधिकारी बोलेगा, वही करेंगे" - कर्मचारियों का जवाब
जब स्थानीय लोगों ने बुजुर्ग को ऐसे लावारिस हालत में छोड़ने पर विरोध जताया, तो कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें जैसा ऊपर से कहा जाएगा, वही करेंगे। इस जवाब ने लोगों को और भड़का दिया, जिन्होंने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर मरीज को कुछ होता, तो कम से कम अस्पताल में होता, न कि इस तरह सड़क पर फेंका जाता।”
सिविल सर्जन ने मानी लापरवाही, बताया निर्देशों का उल्लंघन
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. बी.एल. रावत ने इस मामले में लापरवाही को स्वीकारते हुए कहा कि मरीज बाबूलाल देवा को डिस्चार्ज कर दिया गया था, लेकिन साथ में कोई परिजन नहीं होने के चलते पुलिस को सूचना दी गई थी। कर्मचारी स्ट्रेचर या एम्बुलेंस से ले जा सकते थे, लेकिन उन्होंने कपड़े से बना स्ट्रेचर इस्तेमाल किया जो कि पूरी तरह गलत था।
वीडियो वायरल, कर्मचारियों की पहचान उजागर
घटना का वीडियो सामने आने के बाद दोनों कर्मचारियों की पहचान आकाश गौहर और कमलेश टांक के रूप में हुई है। दोनों जिला अस्पताल में आउटसोर्स के तहत कार्यरत हैं। अधिकारियों का कहना है कि मरीज को बस स्टैंड क्यों ले जाया गया, इसकी जांच की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि पुलिस चौकी से कुछ निर्देश मिले होंगे।