भाले से वार कर काटी जाती है रावण की नाक, खून बहते ही चूर-चूर हो जाता है घमंड

रतलाम के चिकलाना, कालूखेड़ा और मंदसौर जिले के कुछ गांवो में रावण का अनोखे तरीके से वध कर चैत्र नवरात्रि में दशहरा मनाया जाता है.

हमारे देश में साल में 2 बार शारदीय और चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में शारदीय नवरात्रि के अलावा चैत्र नवरात्र में भी दशहरा मनाने की परंपरा है. शारदीय नवरात्रि में विजयदशमी पर रावण का वध और दहन कर विजयदशमी का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में चैत्र नवरात्रि पर दशहरा मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है.

चैत्र नवरात्रि में रावण के वध के साथ दशहरा

मध्य प्रदेश के रतलाम में एक गांव ऐसा है जहां रावण का वध 6 महीने पहले ही हो जाता है. वह भी नाभि में तीर मारकर नहीं बल्कि उसकी नाक पर भाले से वार कर रावण का वध किया जाता है. जी हां रतलाम के चिकलाना , कालूखेड़ा और मंदसौर जिले के कुछ गांवो में रावण का अनोखे तरीके से वध कर चैत्र नवरात्रि में दशहरा मनाया जाता है. यहां की परंपरा है कि मिट्टी से बनाए जाने वाले विशाल रावण का वध गांव के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति करते हैं. वह भी भाले से वार कर रावण की नाक काटकर. चैत्र नवरात्रि में रामनवमी के ठीक अगले दिन यह अनोखा आयोजन होता है. जिसे देखने आसपास के गांव सहित दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

400 सालों से चली आ रही परंपरा

रतलाम के चिकलाना और कालूखेड़ा में यह अनोखी परंपरा करीब 400 सालों से जारी है. गांव के नरेंद्र सिंह चंद्रावत ने बताया कि "उनके पूर्वज रावण का वध इसी तरह करते आए हैं. खास बात यह भी है कि नवरात्रि के दौरान दशहरा पर यहां कोई आयोजन नहीं होता है. रावण द्वारा किया गया कृत्य क्षमा के योग्य नहीं था. केवल रावण का दहन कर देना उसके पापों की पर्याप्त सजा नहीं है इसलिए नाक काटकर उसे अपमानित करना और उसके घमंड को चूर करना इस परंपरा का लक्ष्य है."

चैत्र नवरात्रि में दशहरा और मेले का आयोजन

जिसके चलते हर साल चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. रावण वध के बाद यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें आसपास के गांव के हजारों लोग पहुंचते हैं. रतलाम और मंदसौर के इन गांव में चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. जिसमें बुराई के प्रतीक रावण की मिट्टी की विशाल प्रतिमा की नाक भाले से काटकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है. इस दौरान इन गांव में मेले का आयोजन भी किया जाता है.

भगवान राम और रावण की सेना आमने-सामने

बुराई के प्रतीक रावण के वध के बाद चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरे के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दौरान रामलीला का भी प्रदर्शन किया जाता है. इस दौरान रावण और भगवान राम की सेना आमने-सामने होती है. जिनके बीच वाक युद्ध भी होता है. इसके बाद गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा हाथ में भाला लेकर रावण की नाक पर वार किया जाता है. रावण की नाक से खून की धारा बहने लगती है और इसके साथ ही रावण वध का कार्यक्रम संपन्न हो जाता है. दरअसल रावण के मुंह के भीतर मिट्टी का मटका रखा होता है, जिसमें लाल रंग का पानी भरा जाता है. जिससे उसकी नाक पर वार करते ही खून बहने लगता है.

खबरें और भी हैं

त्रिपुंड और आभूषणों से सजे बाबा महाकाल, अलसुबह उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

टाप न्यूज

त्रिपुंड और आभूषणों से सजे बाबा महाकाल, अलसुबह उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

बुधवार की अलसुबह श्री महाकालेश्वर मंदिर में ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर महाकाल की भस्म आरती अद्भुत...
राशिफल  धर्म  मध्य प्रदेश 
त्रिपुंड और आभूषणों से सजे बाबा महाकाल, अलसुबह उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

बेंगलुरु ने रचा इतिहास, लखनऊ को 6 विकेट से हराकर किया IPL का तीसरा सबसे बड़ा रन चेज

इकाना स्टेडियम में मंगलवार की रात रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने IPL इतिहास में अपने नाम एक और गौरवशाली अध्याय...
स्पोर्ट्स 
बेंगलुरु ने रचा इतिहास, लखनऊ को 6 विकेट से हराकर किया IPL का तीसरा सबसे बड़ा रन चेज

बघेल का बड़ा आरोप: बस्तर के संसाधनों को उद्योगपतियों के हाथ सौंपने की साजिश

कांग्रेस की न्याय यात्रा के दूसरे दिन पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया...
छत्तीसगढ़ 
बघेल का बड़ा आरोप: बस्तर के संसाधनों को उद्योगपतियों के हाथ सौंपने की साजिश

छत्तीसगढ़ के पंडी राम मंडावी को पद्मश्री पुरस्कार: बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित अमूल्य योगदान

राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को हुए दूसरे चरण के पद्म पुरस्कार वितरण समारोह में छत्तीसगढ़ के नामी कलाकार पंडी राम...
टॉप न्यूज़  छत्तीसगढ़ 
छत्तीसगढ़ के पंडी राम मंडावी को पद्मश्री पुरस्कार: बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित अमूल्य योगदान

बिजनेस

Copyright (c) Dainik Jagran All Rights Reserved.
Powered By Vedanta Software