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छत्तीसगढ़ के पंडी राम मंडावी को पद्मश्री पुरस्कार: बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित अमूल्य योगदान
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राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को हुए दूसरे चरण के पद्म पुरस्कार वितरण समारोह में छत्तीसगढ़ के नामी कलाकार पंडी राम मंडावी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। बस्तर के नारायणपुर जिले के गोंड मुरिया जनजाति के इस अनुभवी शिल्पकार और वाद्ययंत्र निर्माता ने पिछले पांच दशकों से अपनी कला के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और विश्व पटल पर पहचान दिलाई है।
68 वर्षीय पंडी राम मंडावी ने पारंपरिक बस्तर बांसुरी, जिसे 'सुलुर' कहा जाता है, के निर्माण में अद्वितीय कौशल दिखाया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में भी अपने गहन अध्ययन और मेहनत से अद्भुत चित्रांकन, मूर्तियां एवं पैनल तैयार किए हैं, जो बस्तर की लोक संस्कृति की जीवंत झलक प्रस्तुत करते हैं।
उनका यह सम्मान न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध जनजातीय कला और सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने का प्रमाण भी है। पद्मश्री पुरस्कार मिलने की घोषणा गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को की गई थी, जबकि मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से 68 हस्तियों को सम्मानित किया गया, जिनमें बिहार की दिवंगत लोक गायिका डॉ. शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। वहीं राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय साध्वी ऋतंभरा को सामाजिक कार्य के लिए पद्म भूषण मिला।
पंडी राम मंडावी के इस पुरस्कार से बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को नए आयाम मिलेंगे और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने में मदद मिलेगी। यह सम्मान छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति के लिए गर्व की बात है।