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अंतरिक्ष से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, बेटे को गले लगाकर रो पड़े, मां ने भरे नयनों से किया स्वागत
Jagran Desk

अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अपने परिवार से मिले, तो वह पल पूरे देश के लिए भावनाओं से भरा और गौरवपूर्ण बन गया। उनकी मां कमना शुक्ला ने जैसे ही बेटे को देखा, आंखों में आंसू भरकर उन्हें गले से लगा लिया।
वहीं, उनका 4 साल का बेटा जब पिता की बाहों में आया तो दृश्य बेहद इमोशनल हो गया। यह तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं।
18 दिन अंतरिक्ष में, 2 महीने परिवार से दूर
स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से वापसी के बाद शुभांशु शुक्ला की सफल लैंडिंग प्रशांत महासागर में हुई। इसके बाद उन्हें ह्यूस्टन ले जाया गया, जहां मेडिकल परीक्षण के बाद आखिरकार उनका परिवार से मिलन हुआ।
बता दें कि अंतरिक्ष में भेजे जाने से पहले शुभांशु की क्वारंटीन प्रक्रिया 15 दिन पहले शुरू हो गई थी, जो लॉन्च तक जारी रही। इस कारण वे लगभग दो महीने तक परिवार से पूरी तरह अलग रहे।
देश के लिए गर्व का क्षण
यह न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए भी एक गौरवशाली क्षण है। राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय होने का सम्मान भी उन्हें प्राप्त हुआ है।
वैज्ञानिक प्रयोगों में निभाई अहम भूमिका
अंतरिक्ष में रहते हुए शुभांशु ने बायोलॉजी, मटेरियल साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े कई प्रयोगों में सक्रिय भागीदारी की। खासतौर पर “स्प्राउट्स प्रोजेक्ट” में उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में पौधों की वृद्धि पर अनुसंधान किया, जो भविष्य में अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए एक बड़ी दिशा बन सकता है।
गगनयान मिशन के लिए बना मील का पत्थर
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन ISRO के आगामी गगनयान मिशन 2027 के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके अनुभव और परीक्षण भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए आधार तैयार करेंगे।
लखनऊ में जन्मे और भारतीय वायुसेना के अधिकारी शुभांशु शुक्ला का यह सफर अब युवाओं और वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा बन गया है।