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वीर सावरकर की जयंती पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, कहा - "कविता और क्रांति के प्रतीक थे सावरकर"
Jagran Desk
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स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी, चिंतक, कवि और क्रांतिकारी वीर सावरकर की 142वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने कहा कि वीर सावरकर न केवल अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने वाले अद्वितीय योद्धा थे, बल्कि वे एक संवेदनशील कवि और गहन विचारक भी थे, जिन्होंने भारत माता की स्वतंत्रता को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था।
प्रधानमंत्री ने एक भावुक संदेश में कहा, “वीर सावरकर के बारे में जितना भी पढ़ा और सुना है, वह सब आंखों के सामने सजीव हो उठता है। वे कालापानी की उस कालकोठरी में वर्षों तक अन्याय और अत्याचार सहते रहे, लेकिन राष्ट्रभक्ति की उनकी भावना कभी डगमगाई नहीं।”
उन्होंने आगे कहा कि, “सावरकर त्याग, तप और तेज का प्रतीक थे। उन्होंने केवल सशस्त्र क्रांति की बात नहीं की, बल्कि वैचारिक क्रांति के द्वारा भी देश को एकजुट करने का कार्य किया। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगा।”
क्रांतिकारी ही नहीं, एक संवेदनशील कवि भी थे सावरकर
प्रधानमंत्री मोदी ने सावरकर को "शस्त्र और शास्त्र दोनों के उपासक" बताते हुए कहा कि उन्होंने क्रांति और कविता दोनों को साथ लेकर चलने का काम किया। सावरकर ने 1857 की क्रांति को अंग्रेजों द्वारा ‘विद्रोह’ कहे जाने का खंडन करते हुए उसे भारत की ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ घोषित किया था।
पीएम मोदी ने बताया कि अंडमान की सेलुलर जेल में जब भी वे जाते हैं, वहां की दीवारों में सावरकर की पीड़ा और उनकी अडिग राष्ट्रभक्ति को महसूस किया जा सकता है। “उन कालकोठरियों में जो सावरकर जैसे वीरों की चुप चीखों के गवाह हैं, वे आज भी हमें प्रेरणा देते हैं।”
सावरकर की विचारधारा आज भी प्रासंगिक
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है, तब सावरकर के विचार और उनका बलिदान हमें मार्गदर्शन देता है। उन्होंने कहा, “देश उनके संघर्ष और बलिदान को कभी भुला नहीं सकता। वीर सावरकर एक युगद्रष्टा थे, जिनकी सोच आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।”