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आयकर विधेयक 2025: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ी निगरानी, टैक्स अधिकारी कर सकेंगे ईमेल, क्लाउड और सोशल मीडिया की जांच
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केंद्र सरकार के प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 में पहली बार "वर्चुअल डिजिटल स्पेस" की स्पष्ट परिभाषा दी गई है, जिसके तहत टैक्स अधिकारियों को तलाशी और जब्ती के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म तक सीधी पहुंच का अधिकार मिलेगा। इसमें ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट, ऑनलाइन बैंकिंग व ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, क्लाउड स्टोरेज सहित तमाम डिजिटल माध्यम शामिल हैं।
संसदीय प्रवर समिति की मंजूरी के बाद आए इस प्रावधान का उद्देश्य डिजिटल माध्यम से हो रही टैक्स चोरी पर सख्ती करना है। नए प्रावधान अधिकारियों को जरूरत पड़ने पर एक्सेस कोड बायपास कर डेटा तक पहुंचने और फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने का अधिकार देते हैं।
क्या है वर्चुअल डिजिटल स्पेस?
विधेयक में वर्चुअल डिजिटल स्पेस को कंप्यूटर तकनीक से निर्मित और अनुभव किए जाने वाले ऐसे डिजिटल वातावरण के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें उपयोगकर्ता इंटरनेट, कंप्यूटर नेटवर्क, साइबरस्पेस, वर्ल्ड वाइड वेब और नई तकनीकों के जरिए बातचीत, सूचना का आदान-प्रदान और लेन-देन कर सकते हैं। इसमें शामिल हैं—
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ईमेल सर्वर
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सोशल मीडिया प्रोफाइल
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ऑनलाइन निवेश, ट्रेडिंग और बैंकिंग खाते
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संपत्ति स्वामित्व विवरण रखने वाली वेबसाइटें
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रिमोट या क्लाउड सर्वर
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डिजिटल एप्लिकेशन प्लेटफॉर्म
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और समान प्रकृति के अन्य डिजिटल स्पेस
अधिकारियों के नए अधिकार
मौजूदा कानून के तहत आयकर अधिकारी समन जारी होने के बाद दस्तावेज़ न मिलने पर इमारतों में प्रवेश, तलाशी और दस्तावेज़ ज़ब्त कर सकते हैं। नया विधेयक इस अधिकार को आगे बढ़ाकर डिजिटल प्लेटफॉर्म की तलाशी और जब्ती को भी शामिल करता है। यानी अब अधिकारी न केवल भौतिक रिकॉर्ड, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक और वर्चुअल डेटा की भी जांच कर सकेंगे।