- Hindi News
- बिजनेस
- गुमनाम दान पर ट्रस्ट को टैक्स छूट जारी, डेडलाइन के बाद भी टीडीएस रिफंड का दावा संभव
गुमनाम दान पर ट्रस्ट को टैक्स छूट जारी, डेडलाइन के बाद भी टीडीएस रिफंड का दावा संभव
Business News

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में पेश और पारित किए गए नए आयकर (संख्या 2) विधेयक में गुमनाम दान पर धार्मिक एवं धर्मार्थ ट्रस्टों को मिली टैक्स छूट को बरकरार रखा गया है। पहले इस छूट को हटाने का प्रस्ताव था, लेकिन अब यह सुविधा बनी रहेगी, जिससे ट्रस्टों को आर्थिक मदद जारी रखने में सहूलियत होगी।
नए बिल के प्रमुख बदलाव
-
पेशेवरों के लिए जिनकी सालाना आय 50 करोड़ से अधिक हो, निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यम अपनाना अनिवार्य होगा।
-
आय में घाटे को आगे ले जाने और समायोजित करने के नियमों को स्पष्ट और बेहतर बनाया गया है।
-
टीडीएस (स्रोत कर कटौती) दावों की समय सीमा घटाकर 6 साल से 2 साल कर दी गई है, जिससे विवाद कम होंगे।
-
गुमनाम दान पर टैक्स छूट केवल धार्मिक ट्रस्टों तक सीमित नहीं रहेगी, अब पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) को भी इसका लाभ मिलेगा। हालांकि, जो धार्मिक ट्रस्ट अस्पताल या शिक्षण संस्थान जैसे धर्मार्थ कार्य करते हैं, उन पर टैक्स लागू हो सकता है।
-
'प्राप्ति' की अवधारणा को 'आय' के साथ जोड़कर केवल वास्तविक आय पर टैक्स लगाने का प्रावधान हुआ है।
रिफंड में राहत
पहले टीडीएस रिफंड के लिए आयकर रिटर्न (ITR) निर्धारित समय पर दाखिल करना अनिवार्य था। नए संशोधन के तहत अब जिन लोगों को ITR दाखिल करना जरूरी नहीं है, वे भी डेडलाइन बीतने के बाद रिफंड का दावा कर सकेंगे। इससे टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी।
अन्य प्रावधान
-
एकीकृत पेंशन योजना (UPSC) के ग्राहकों को कर छूट का लाभ मिलेगा।
-
आयकर तलाशी मामलों में थोक आकलन की नई व्यवस्था लागू होगी।
-
सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष को प्रत्यक्ष कर लाभ प्रदान किया गया है।
इस संशोधित आयकर बिल से गुमनाम दान पर मिली टैक्स छूट बनी रहने से ट्रस्टों की आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी, साथ ही टीडीएस रिफंड से जुड़े मामलों में करदाताओं को अधिक सुविधा मिलेगी। नए नियमों से विवादों और शिकायतों में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है।