बार-बार होने वाला तेज सिरदर्द, मतली, रोशनी और आवाज से चिढ़—ये सभी माइग्रेन के आम लक्षण हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक माइग्रेन केवल सामान्य सिरदर्द नहीं, बल्कि एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसे समय रहते गंभीरता से न लिया जाए तो यह क्रॉनिक रूप भी ले सकती है। अक्सर लोग इसे हल्का समझकर पेनकिलर के सहारे छोड़ देते हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आदत लंबे समय में नुकसानदायक हो सकती है।
योग और आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि माइग्रेन के इलाज में दवाएं तत्काल राहत तो देती हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए जीवनशैली में बदलाव और योग बेहद प्रभावी साबित हो सकता है। नियमित योगाभ्यास न सिर्फ दर्द की तीव्रता को कम करता है, बल्कि माइग्रेन के दौरों की आवृत्ति भी घटा सकता है।
योग विशेषज्ञों के अनुसार शशांकासन माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए बेहद लाभकारी है। यह आसन मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है, जो माइग्रेन का बड़ा कारण माना जाता है। इस आसन में आगे की ओर झुकने से सिर और गर्दन पर दबाव कम होता है, जिससे दर्द में राहत मिलती है।
इसी तरह पश्चिमोत्तानासन रीढ़ को लचीला बनाने के साथ-साथ मानसिक तनाव घटाने में सहायक माना जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह आसन नर्वस सिस्टम को शांत करता है और सिरदर्द से जुड़ी बेचैनी को कम करता है। लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन देखने वालों के लिए यह आसन खास तौर पर फायदेमंद है।
अधो मुख श्वानासन यानी डाउनवर्ड डॉग पोज रक्त संचार को बेहतर बनाता है। सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ने से माइग्रेन के दौरान होने वाले भारीपन और दबाव में कमी आती है। यह आसन पूरे शरीर को ऊर्जा देता है और थकान को भी दूर करता है।
योग प्रशिक्षकों के अनुसार जानू सिरासन गर्दन, कंधे और सिर के आसपास की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। यह आसन उन लोगों के लिए खास है, जिन्हें माइग्रेन के साथ गर्दन में अकड़न या तनाव की शिकायत रहती है। नियमित अभ्यास से सिरदर्द की तीव्रता में कमी देखी जा सकती है।
विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि योग के साथ पर्याप्त नींद, नियमित दिनचर्या और संतुलित आहार बेहद जरूरी है। तेज रोशनी, तेज आवाज और लंबे समय तक स्क्रीन देखने से बचना भी माइग्रेन नियंत्रण में मदद करता है।
आज की ताज़ा ख़बरें और हेल्थ से जुड़े भारत समाचार अपडेट बताते हैं कि माइग्रेन से जूझ रहे लोगों के लिए योग एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प बनकर उभर रहा है। सही मार्गदर्शन में नियमित अभ्यास करने से दवाओं पर निर्भरता कम की जा सकती है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाई जा सकती है।
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