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कभी राजनीतिक दबाव महसूस नहीं किया: पूर्व CJI बी.आर. गवई
Digital Desk
पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने बुधवार को कहा कि अपने पूरे करियर में उन्होंने कभी भी नेताओं या राजनीतिक दलों से किसी तरह का दबाव महसूस नहीं किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों को यह स्वतंत्रता दी कि किसी भी तरह के अधिकार उल्लंघन पर वे बिना झिझक अदालत का रुख कर सकें।
बातचीत के दौरान उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई पर दिए गए अपने अहम फैसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि केवल किसी व्यक्ति पर आपराधिक आरोप होने के आधार पर उसका घर गिराना सही नहीं हो सकता ,यह वहां रहने वाले परिवार के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने कहा था कि प्रशासन "जज" की भूमिका नहीं निभा सकता। घर गिराने से कम से कम 15 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य होगा, और जल्दबाजी में की गई कार्रवाई पर अफसरों को मुआवजा देना पड़ेगा।
23 नवंबर को गवई का कार्यकाल पूरा हुआ और उनकी जगह जस्टिस सूर्यकांत ने नए CJI के रूप में जिम्मेदारी संभाली है। सूर्यकांत का कार्यकाल फरवरी 2027 तक चलेगा, जो लगभग 14 महीने का होगा।
गवई के इंटरव्यू की 5 प्रमुख बातें
1. बुलडोजर एक्शन पर
उन्होंने कहा कि अदालत ने नागरिकों को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी है। जहां भी ऐसी शिकायतें मिलीं, कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। अगर प्रक्रियाओं का पालन किए बिना घर तोड़ा गया, तो सरकार को उसे फिर से बनवाने और दोषियों से राशि वसूलने के निर्देश दिए गए।
2. ज्यूडिशियल एक्टिविज्म पर
गवई बोले— न्यायपालिका की सक्रियता सीमाओं के भीतर रहनी चाहिए। "ज्यूडिशियल एक्टिविज्म, ज्यूडिशियल टेररिज्म में नहीं बदलना चाहिए।" संविधान तीनों स्तंभों— विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका— के बीच शक्तियों के संतुलन पर आधारित है।
3. कॉलेजियम सिस्टम पर
उन्होंने कहा कि कॉलेजियम पूरी तरह पारदर्शी है। सभी नामों पर विचार करने से पहले उम्मीदवारों से बातचीत के अलावा कंसल्टिंग जज, सरकार, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कानून मंत्रालय से भी फीडबैक लिया जाता है।
4. जस्टिस वर्मा कैश कांड पर
गवई ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया और स्वीकार किया कि इससे न्यायपालिका की छवि प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि मामला संसद में लंबित है और महाभियोग प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, इसलिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।
5. विपक्ष की आलोचना पर
उन्होंने कहा कि फैसलों की आलोचना स्वीकार्य है, लेकिन जजों पर व्यक्तिगत हमले गलत हैं। "जज कानून और उपलब्ध तथ्यों के आधार पर काम करते हैं, इसलिए संस्थाओं पर अविश्वास पैदा करने वाले हमले ठीक नहीं हैं।"
